ऑफ द रिकॉर्डः ‘ई.डी. छापे मारने में तो शेर, सजा दिलाने में फिसड्डी’

Edited By Pardeep,Updated: 10 Nov, 2020 05:39 AM

ed is lion in raids lazy in punishing

देशभर में ताबड़तोड़ छापों के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) चर्चा में रहता है। 2005 में धनशोधन निवारण अधिनियम (पी.एम. एल.ए.) लागू किए जाने के बाद से ई.डी. को भारी शक्तियां मिल गईं। आप किसी का भी नाम लें, उसे कभी न कभी ई.डी. के कोप का सामना करना

नई दिल्लीः देशभर में ताबड़तोड़ छापों के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) चर्चा में रहता है। 2005 में धनशोधन निवारण अधिनियम (पी.एम. एल.ए.) लागू किए जाने के बाद से ई.डी. को भारी शक्तियां मिल गईं। आप किसी का भी नाम लें, उसे कभी न कभी ई.डी. के कोप का सामना करना पड़ा है। इनमें रॉबर्ट वाड्रा, भूपिंद्र सिंह हुड्डा, पी. चिदम्बरम, अगस्ता वेस्टलैंड, डी.के. शिवकुमार, वीडियोकॉन, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक, विजय माल्या, आई.एन.एक्स. मीडिया, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, फारूक अब्दुल्ला आदि शामिल हैं। 

रिया चक्रवर्ती मामले में ई.डी. का एक नया रूप सामने आया। रिया के खिलाफ बिहार पुलिस ने जैसे ही सुशांत मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया, ई.डी. तुरंत एक्शन में आ गया। देश के किसी भी कोने में केस दर्ज होने पर ई.डी. स्वत: कार्रवाई कर सकता है। इस मामले में भी उसने धनशोधन (मनी लांड्रिंग) कोण से जांच आरंभ कर दी थी। 

आधिकारिक सूत्रों के जरिए जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके अनुसार 15 साल में ई.डी. 14 मामलों में ही सजा दिलवाई पाया है यानी एक साल में एक सजा से भी कम औसत। 2005 से लेकर 2019 तक 14 सालों में ई.डी. ने मनी लांड्रिंग के 2300 केस तथा विदेशी मुद्रा विनियमन के उल्लंघन के 14,000 केस दर्ज किए। उसने 1003 मामलों में छापे मारे तथा 1241 में जांच पूरी की। 

यू.पी.ए. सरकार के 10 साल के कार्यकाल की तुलना में एन.डी.ए. के 6 साल के कार्यकाल में ई.डी. के छापों में तेजी आई है। उसने 2012 में मात्र 99 छापे मारे थे लेकिन इसकी तुलना में उसने 2019 में 171 मामलों में 670 छापे मारे। परंतु मोदी सरकार के 6 साल के कार्यकाल में ई.डी. मात्र 9 मामलों में ही सजा दिलवा पाया। ई.डी. के पूर्व निदेशक कर्नल सिंह का कहना है कि एजैंसी के अधिकारियों को अधिक पेशेवाराना दक्षता एवं अच्छे प्रशिक्षण की जरूरत है। ई.डी. कम दोषियों को सजा दिलवा पाया है, इसका एक कारण यह बताया जा रहा है कि वह 45 प्रतिशत स्टाफ के साथ काम कर रहा है। जांच एजैंसी के पास स्टाफ की संख्या होनी तो 2000 चाहिए जबकि उसके पास हैं केवल 1100 कर्मचारी। 
 

वर्ष धनशोधन मामले जांच हुई सजा दिलवाई
2014-15 178 342  00 
2015-16 111 209 00
2016-17  200 212 02
2017-18 148 215 02
2018-19 195 239 04
2019-20 171 24* 01
कुल 1003 1241 09

*जनवरी 2020 तक, स्रोत : वित्त मंत्रालय 


            
                      
                        
                  
             
               
                  
           

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