Election Flashback : नेहरू से बड़ी थी रैड्डी की जीत, 3 अहम मुद्दों पर लड़ा गया था पहला चुनाव

Edited By Mahima,Updated: 27 Mar, 2024 10:22 AM

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आजाद भारत के पहले चुनाव के दौरान जवाहर लाल नेहरू इलाहाबाद वैस्ट सीट से चुनाव लड़े थे और उन्हें 2,33,571 मत हासिल हुए थे जबकि उस समय के हैदराबाद की नालगोंडा सीट पर रवि नारायण रैड्डी को 3,09,162 हासिल हुए।

नेशनल डेस्क: आजाद भारत के पहले चुनाव के दौरान जवाहर लाल नेहरू इलाहाबाद वैस्ट सीट से चुनाव लड़े थे और उन्हें 2,33,571 मत हासिल हुए थे जबकि उस समय के हैदराबाद की नालगोंडा सीट पर रवि नारायण रैड्डी को 3,09,162 हासिल हुए। इन चुनावों के दौरान इलाहाबाद और नालगोंडा में लोकसभा की 2-2 सीटें थी और चुनाव आयोग के आंकड़ों में इन दोनों के प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है लेकिन यदि हम इलाहाबाद व नालगोंडा के दूसरे नम्बर पर आए उम्मीदवारों के मत्तों के हिसाब से नतीजा निकाले तो रवि नारायण डी की जीत जवाहर लाल नेहरू की जीत के मुकाबले बड़ी जीत थी। इसी दौरान देश का संविधान लिखने वाली ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन भीम राव अम्बेदकर यो सिटी नॉर्थ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे और उन्हें 1,23,576 मत हासिल हुए लेकिन वह चुनाव हार गए थे।

खेती, गरीबी और विस्थापन के मुद्दे पर लड़ा था चुनाव
देश जब आजाद हुआ तो देश के सामने कई चुनौतियां थीं लेकिन सबसे बड़ी चुनौती अपनी जनता को दो वक्त का खाना मुहैया करवाने की थी। लिहाजा कृषि का विकास आजाद भारत के पहले चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा था। दूसरा बड़ा मुद्दा गरीबी था क्योंकि अंग्रेजों के शासनकाल में आम जनता को वित्तीय रूप से सशक्त बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया था लिहाजा देश की आबादी का बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा था। इसके अलावा एक तीसरा और सबसे अहम मुद्दा शरणार्थियों का था। देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान की तरफ से बड़ी संख्या में शरणार्थी भारत में आ गए थे।

1951 चुनाव की दलीय स्थिति

पार्टी सीटें वोट (%)
कांग्रेस 364 44.99
सी.पी.आई 16 3.29
बी.जे.एस 3 3.29
एस.पी 12 10.59
आजाद 37 15.90
आर. आर. पी 3 1.97
आर.एस.पी 3 0.44
के. एम. पी.पी 9 5.79
एच.एम.एस 4 0.95

सुकुमार सेन ने करवाया पहला चुनाव
देश का संविधान लागू होने के बाद पहला चुनाव अपने आप में चुनाव आयोग के लिए बड़ी चुनौती थी। उस समय चुनाव आयुक्त की एक ही पोस्ट हुआ करती थी और सुकुमार सेन की अगुवाई में देश पहले चुनाव में उतरा था। चुनाव के दौरान वोटर सूचियां बनाने से लेकर बैलेट बॉक्स, सुरक्षा के इंतजाम और चुनाव का सारा प्रशासकीय प्रबंध पहली बार चुनाव आयोग के लिए भी एक नए तजुर्बे की तरह था लेकिन इसके बावजूद देश के 17 करोड़ वोटरों ने लोकतंत्र के इस महायज्ञ में भाग लिया और देश के लिए पहली चुनी हुई सरकार का गठन हुआ। पहले चुनाव के दौरान 489 सीटों पर वोटिंग हुई जिसमें 53 पार्टियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान दुर्गम इलाकों में खच्चरों व ऊंटों की मदद से बैलेट बॉक्स पहुंचाए गए और मौसम की तमाम दुश्वारियों के बावजूद चुनाव को सफलतापूर्वक सम्पन्न करवाया गया।

 

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