Edited By vasudha,Updated: 04 Jul, 2021 04:37 PM
कोरोना के खिलाफ जंग जीतने में भले ही हम कामयाब होते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इस महामारी ने तबाही के कई निशान छोड़ दिए हैं। इसका एक उदाहरण देखने को मिला तमिलनाडु के थिरूथानी में यहां एक किसान को बैल की जगह साइकिल से अपना खेत जोतने के लिए मजबूर होना...
नेशनल डेस्क: कोरोना के खिलाफ जंग जीतने में भले ही हम कामयाब होते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इस महामारी ने तबाही के कई निशान छोड़ दिए हैं। इसका एक उदाहरण देखने को मिला तमिलनाडु के थिरूथानी में यहां एक किसान को बैल की जगह साइकिल से अपना खेत जोतने के लिए मजबूर होना पड़ा।
यह दर्दनाक कहानी है 37 साल के नागराज की। उन्होंने सम्मांगी/चंपक की फसल उगाई थी, इसके फूलों का इस्तेमाल माला बनाने और मंदिर-पूजा स्थलों में समारोहों के दौरान किया जाता है। लॉकडाउन के चलते मंदिरों को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया और ऐसे में नागराज के मेहनात बेकार चली गई।
इस सब के बावजूद किसान ने हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर सम्मांगी की फसल उगाने का फैसला किया। इसके लिए बेटे को को स्कूली से मिली मुफ्त साइकिल का इस्तेमाल किया। उसी साइकिल को खेत जोतने लायक साधन में तब्दील कर दिया गया।
खेत को जोतने में नागराज के साथ उनका बेटा और भाई भी साथ देते हैं।
नागराज का 11 साल का बेटा धनाचेझियान ऑनलाइन पढ़ाई करने के साथ पिता का खेत में भी हाथ बंटाता है। उसने कहा कि वह
हमेशा से पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को खेत में काम करता है। जब पिता थक जाते हैं तो उनका साथ देता है। पहले भी ऐसी कई तस्वीरें सामने आ चुकी है , जिसमें किसान कंधे पर हल रखकर खेत जोतते दिखाई दिए।