‘पंजाब केसरी’ के साथ थे अटल जी के गहरे रिश्ते

Edited By Anil dev,Updated: 17 Aug, 2018 09:02 AM

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के पंजाब केसरी परिवार के साथ गहरे संबंध थे। अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में की गई विदेश यात्राओं के दौरान वह पंजाब केसरी समूह के मुख्य सम्पादक श्री विजय चोपड़ा और संयुक्त सम्पादक श्री अविनाश चोपड़ा को अपने साथ लेकर जाते...

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के पंजाब केसरी परिवार के साथ गहरे संबंध थे। अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में की गई विदेश यात्राओं के दौरान वह पंजाब केसरी समूह के मुख्य सम्पादक श्री विजय चोपड़ा और संयुक्त सम्पादक श्री अविनाश चोपड़ा को अपने साथ लेकर जाते थे। यात्राओं दौरान वह अपने विशेष विमान में श्री विजय चोपड़ा व श्री अविनाश चोपड़ा को अपने पास बुलाकर सरकार की नीतियों व कार्यप्रणाली को लेकर फीडबैक भी हासिल करते थे।

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4 बार पंजाब केसरी समूह के सेवा कार्य में हुए शामिल  
अपने प्रधानमंत्रित्व काल से पूर्व और प्रधानमंत्री बनने के बाद पंजाब केसरी ग्रुप द्वारा संचालित राहत वितरण समारोहों में भाग लेने के लिए श्री अटल बिहारी वाजपेयी 4 बार जालंधर आए। पहली बार 3 फरवरी,1985 को, दूसरी बार 23 नवम्बर, 1997 को (शहीद परिवार फंड राहत वितरण समारोह में भाग लेने के लिए), तीसरी बार 12 मई, 1999 को प्रधानमंत्री राहत कोष हेतु सहायता राशि प्राप्त करने और चौथी बार वह 6 फरवरी, 2000 को शक्ति कारगिल फंड लेने के लिए जालंधर आए थे। 3 फरवरी, 1985 को शहीद परिवार फंड के सहायता वितरण समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा, शहीद परिवार अकेले नहीं। सारा समाज उनके साथ है। शहीद परिवार फंड के 23 नवम्बर, 1997 को आयोजित समारोह में श्री वाजपेयी ने राजनीतिज्ञों को आगाह किया कि, उन्हें राजनीति को कुर्सी का खेल नहीं बनाना चाहिए क्योंकि जब राजनीति दूषित और विकृत होती है। फिर 12 मई, 1999 को प्रधानमंत्री राहत कोष शक्ति की 77 लाख रुपए की रकम प्राप्त करने जालंधर आए श्री वाजपेयी ने कहा, भारत किसी भी देश पर हमला नहीं करेगा परंतु किसी अन्य को अपने ऊपर हमला करने की अनुमति भी नहीं देगा। चौथी बार वह 6 फरवरी, 2000 को पंजाब केसरी द्वारा शुरू किए गए प्रधानमंत्री राहत कोष कारगिल में एकत्रित 10 करोड़ 34 लाख की राशि प्राप्त करने के लिए जालंधर आए। इस अवसर पर उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि वह भारत को परमाणु हमले की धमकी देने से बाज आए वर्ना उसे कड़ा जवाब दिया जाएगा। इस फंड के लिए लोगों ने लाइनों में खड़े होकर पैसे दिए और लोगों का कहना था कि वाजपेयी जी ने कारगिल का युद्ध जीत कर देश का नाम ऊंचा किया है।

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बटाला में शांति स्थापना में अहम भूमिका
फरवरी 1987 में जब बटाला की आतंकियों ने घेराबंदी कर दी और यह औद्योगिक शहर 18 दिन तक कफ्र्यू से जूझता रहा उस समय भी अटल बिहारी वाजपेयी की सूझबूझ से बटाला को संकट से मुक्ति मिली थी। उस दौरान बटाला में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बंद हो गई और बच्चे दूध के अभाव में बिलख रहे थे तो पंजाब केसरी समूह के सम्पादक श्री विजय चोपड़ा ने अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा नेता श्री कृष्ण लाल से श्री अटल बिहारी वाजपेयी को बटाला बुलाने की गुजारिश की और संकट का समाधान निकालने को कहा। श्री वाजपेयी इसके लिए तुरंत तैयार हो गए और मेहता चौक के रास्ते होते हुए शांति मिशन पर बटाला आए। उनके बटाला पहुंचते ही घेराव समाप्त हो गया और लोगों ने राहत की सांस ली।

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अकाली दल के साथ बातचीत के लिए चुनी पंजाब केसरी
पंजाब जब आतंक के दौर से गुजर रहा था और अकाली दल को इसके नुक्सान का एहसास हुआ तो पार्टी के प्रमुख प्रकाश सिंह बादल ने केन्द्र के साथ सुलह की कोशिशें शुरू कीं तो अकाली दल ने भाजपा के साथ बातचीत की शुरूआत की। इस बीच भाजपा नेता मदन लाल खुराना ने पंजाब केसरी के मुख्य सम्पादक श्री विजय चोपड़ा को फोन किया और कहा कि अकाली दल के प्रमुख प्रकाश सिंह बादल के साथ बातचीत करने के लिए वह पंजाब केसरी कार्यालय आना चाहते हैं। श्री चोपड़ा ने जब इसकी वजह पूछी तो उन्होंने कहा कि श्री वाजपेयी का मानना है कि पंजाब केसरी हिंदुओं और सिखों के आपसी सद्भाव की पक्षधर है और इस परिवार ने देश की एकता व अखंडता के लिए कुर्बानियां दी हैं और परिवार के दो सदस्यों की शहादत के अलावा अखबार से जुड़े दर्जनों कर्मी शहीद हुए हैं जिसे देखते हुए अखबार ने शहीदों की मदद के लिए शहीद परिवार फंड चलाया हुआ है। लिहाजा शांति की बात करने के लिए इससे उपयुक्त जगह कोई और नहीं हो सकती। उसके बाद चोपड़ा निवास स्थान पर बैठक हुई जिसमें वाजपेयी, प्रकाश सिंह बादल व अन्य शीर्ष नेता सम्मिलित हुए जिसके बाद अकाली दल व भाजपा के बीच समझौता सिरे चढ़ा।

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कहां है इंडिया शाइनिंग?
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कमियों व सच को स्वीकार करने में झिझकते नहीं थे। वाजपेयी जब अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के अंतिम वर्ष में थे तो उन्होंने श्री विजय चोपड़ा को देश के सियासी हालात पर चर्चा करने के लिए दिल्ली अपने निवास पर बुलाया था। चर्चा के दौरान श्री विजय चोपड़ा ने उन्हें कहा कि  देश में इंडिया शाइनिंग की बातचीत तो हो रही है परंतु वास्तव में इंडिया शाइनिंग कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है तो वाजपेयी ने श्री चोपड़ा की बातों पर सहमति जताते हुए सच्चाई को स्वीकार किया कि मैं स्वयं पार्टी नेताओं से कह रहा हूं कि इंडिया शाइनिंग कहीं भी दिखाई नहीं देता है इसलिए इंडिया शाइनिंग मुद्दे पर अधिक जोर न दिया जाए। 

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आपातकाल के बाद पंजाब केसरी के संस्थापक संपादक शहीद लाला  जगत नारायण जी के साथ अटल बिहारी वाजपेयी का पुराना चित्र।

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