देनदारियां खत्म करने के बजाय फंड ही ट्रांसफर करवा गया ग्रामीण विकास विभाग

Edited By Monika Jamwal,Updated: 02 Apr, 2019 11:31 AM

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फंड के मामले में पहले से ही अंतिम सांसे ले रहे ग्रामीण विकास विभाग ने अपनी देनदारियां खत्म करने के बजाय फंड ही कोष को ट्रांसफर कर दिया है।

  कठुआ (गुरप्रीत) : फंड के मामले में पहले से ही अंतिम सांसे ले रहे ग्रामीण विकास विभाग ने अपनी देनदारियां खत्म करने के बजाय फंड ही कोष को ट्रांसफर कर दिया है। सूत्रों की मानें मनरेगा के तहत विभाग के पास पड़े 216 करोड़ रुपये को वित्त विभाग को ट्रांसफर करने पर स्थानीय ठेकेदारों, मेटेरियल सप्लायरों में भी रोष उत्पन्न हो गया है। एक तो पहले से ही विभाग पर देनदारियां हैं और अगर पैसा था तो उसे देनदारियों को खत्म करने के बजाय जानबूझ कर कोष को ट्रांसफर करवा दिया गया।

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दरअसल फंड की कमी का रोना रोते हुए ग्रामीण विकास विभाग में पिछले करीब एक सालों से तमाम विकास कार्यों पर एक तरह से ब्रेक लग रखी है। सूत्रों की मानें तो मनरेगा के तहत म्जम्मू में चार सौ करोड़ के करीब देनदारी विभाग पर है। कठुआ में इसी के तहत 35 करोड़ रुपये के करीब देनदारी है। ग्रामीण विकास विभाग के विभिन्न विकास कार्यों में शम्हूलितय करने वाले ठेकेदारों को आस थी कि शायद वित्तीय वर्ष 2018-19 के अंतिम मार्च तक विभाग कुछ न कुछ फंड निकाल उन्हें राहत देगा। लेकिन गत दिवस फंड जारी करने के बजाय विभाग ने कोष को ही ट्रांसफर कर दिया। उद्योगी कांत कुमार ने रोष जताते हुए कहा कि उन्होंने यह मामला विभाग के उच्चाधिकारियों के समक्ष भी उठाया है।

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परंतु वे भी किसी तरह का संतोषजनक जबाव नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि सीकाप के माध्यम से ग्रामीण विकास विभाग को कई उद्योगपतियों ने मेटेरियल सप्लाई किया है। जबकि पिछले करीब एक वर्ष से विभाग की ओर से उन्हें कोई पैसा जारी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अधिकारी भी मान रहे हैं कि पैसा ट्रांसफर किया गया है लेकिन ट्रांसफर क्यों किया गया है इसका किसी के पास जबाव नहीं है। उन्होंने कहा कि विभाग की अनदेखी के चलते कई उद्योगपतियों के लगे लघु उद्योग बंद होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। मार्च के अंत में फंड जारी होने की उम्मीद लगाने वाले उद्योगपतियों के पास खाली हाथ मलने के सिवाय कुछ नहीं रहा है।
 

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एक दूसरे से जानकारी लेने को टालते रहे अधिकारी 
विभाग  के उच्चाधिकारी भी इस पूरे मामले पर बोलने से बच रहे हैं। विभाग के जम्मू निदेशक रेहाणा बातूल से संपर्क किया गया तो उन्होंने मामले से अनभिज्ञता जाहिर की और ए.सी.डी. कठुआ से बात करने को कहा। वहीं, जब ए.सी.डी. कठुआ सुखपाल सिंह से बात की गई तो पहले उन्होंने कहा कि फंड ट्रांसफर का मामला राज्य के उच्चाधिकारियों का है। जबकि बाद में उन्होंने इस पूरे मामले पर अनभिज्ञता जाहिर कर दी। वहीं, जब इस संबंध में आयुक्त सचिव शीतल नंदा से बात करने  का प्रयास किया गया तो उन्होंने मोबाइल काल को रिसीव नहीं किया। 

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