Edited By Pardeep,Updated: 09 Mar, 2022 09:28 PM
गोवा में 14 फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान की मतगणना राज्य में बृहस्पतिवार सुबह शुरू होगी। राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की कोशिश कर रही है, जबकि विपक्षी दल
पणजीः गोवा में 14 फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान की मतगणना राज्य में बृहस्पतिवार सुबह शुरू होगी। राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की कोशिश कर रही है, जबकि विपक्षी दल कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बार उसके पक्ष में स्पष्ट जनादेश मिलेगा। गोवा में दो प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस के अलावा कई छोटे और क्षेत्रीय संगठनों की मौजूदगी के कारण विधानसभा की 40 सीटों के लिए 302 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, जिसमें बहुकोणीय मुकाबला देखा गया। अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि मतगणना दो स्थानों पर होगी।
मडगांव में दामोदर कॉलेज और पणजी के अल्टिन्हो में सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज में क्रमशः उत्तरी गोवा जिले और दक्षिण गोवा जिले में पड़ने वाले विधानसभा क्षेत्रों के लिए मतगणना होगी। अधिकतर एग्जिट पोल ने गोवा में खंडित जनादेश का अनुमान जताया है, जिससे राजनीतिक दलों को मतगणना के बाद के परिदृश्यों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति तैयार करनी पड़ी है।
अधिकारियों कहा कि मतगणना केंद्रों में प्रवेश के लिए दोनो खुराक लेने संबंधी कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र को अनिवार्य कर दिया गया है। मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा के तीन स्तर होंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दोनों मतगणना केंद्रों पर व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं और दोपहर तक सभी नतीजे आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘सभी निर्वाचन क्षेत्रों के मतों की गिनती एक ही बार में की जाएगी। सुबह आठ मतपत्रों की गिनती से मतगणना की शुरुआत होगी।'' उत्तरी जिला के निर्वाचन अधिकारी अजीत रॉय ने कहा कि स्ट्रांग रूम, जहां ईवीएम रखे गए हैं, सुबह 6.30 बजे खोले जाएंगे, लेकिन मतगणना सुबह आठ बजे शुरू होगी।
भाजपा और कांग्रेस के अलावा गोवा फॉरवर्ड पार्टी, महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस तथा निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मुकाबले में उतरे। गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा में सामान्य बहुमत के लिए किसी पार्टी या गठबंधन के 21 सदस्य होने चाहिए। वर्ष 2017 के चुनाव में 17 सीटें जीतने के बावजूद कांग्रेस सत्ता में नहीं आ सकी क्योंकि 13 सीटें जीतने वाली भाजपा ने कुछ निर्दलीय विधायकों और क्षेत्रीय दलों के विधायकों साथ गठबंधन कर मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में सरकार का गठन कर लिया।