गुजरात में बार-बार उठ रहा है एक ही सवाल, कहां गई सारी नौकरियां ?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 02:11 PM

gujarat elections  jobs  iti

राज्य की राजमार्ग सुन्दर हैं, लेकिन रास्ते लंबे और कठिन हैं।  ऐसे में युवा ज्यादातर प्लास्टिक में लिपटे अपने स्मार्ट फोन का सहारा लेते हुए खुद को दुनिया से बिलकुल अलग-थलग कर ले रहे हैं।  कभी-कभार उन युवाओं की हंसी और कान में लगे ईयर-फोन से आने वाली...

राधनपुर/पाटण: राज्य की राजमार्ग सुन्दर हैं, लेकिन रास्ते लंबे और कठिन हैं।  ऐसे में युवा ज्यादातर प्लास्टिक में लिपटे अपने स्मार्ट फोन का सहारा लेते हुए खुद को दुनिया से बिलकुल अलग-थलग कर ले रहे हैं।  कभी-कभार उन युवाओं की हंसी और कान में लगे ईयर-फोन से आने वाली हल्की-हल्की आवाज बता रही है कि वह अपने फोन पर ज्यादातर बॉलीवुड फिल्मों के क्लिप, क्षेत्रीय एलबम और हास्य रस का आनंद ले रहे हैं।  ऐसे ही एक बस में पाटण से कच्छ जिले के गांधीधाम जा रहा प्रिंस परमार एक भूमिहीन किसान का बेटा है। 23 वर्षीय परमार गांधीधाम में एक कपड़ा कंपनी में ‘सुपरवाइजर’ के पद पर है और उसकी मासिक तनख्वाह मात्र 10,000 रुपए है।  जाति से दलित परमार का कहना है, ‘‘और अगर आप तीन दिन भी छुट्टी कर लें, तो वह आधी तनख्वाह काट लेते हैं।’’  अपना गुस्सा और खीज निकालते हुए परमार अचानक सवाल करता है, ‘‘तुम कितना कमाते हैं? क्या पढ़ाई की है तुमने?’’ 

 ऐसे में जब गुजरात में 14 दिसंबर को दूसरे और अंतिम चरण का चुनाव होना है, परमार का सवाल महत्वपूर्ण हो जाता है। यह ना सिर्फ राज्य में युवाओं की चिंताओं के दर्शाता है बल्कि प्रदेश में सत्ता की लड़ाई लड़ रही पाॢटयों के लिए संदेश भी है।  उत्तर गुजरात की करीब 550 किलोमीटर लंबी यात्रा में प्रमुख बात यही रही कि गुजरात के युवाओं में शारीरिक श्रम से इतर वाली नौकरियों और उनके साथ मिलने वाली सुविधाओं को लेकर उत्सुकता है।  राधनपुर की जैन बोॢडंग इलाका निवासी कोराडिया वसीमभाई महबूबभाई अपने दो दोस्तों के साथ कांग्रेस के अस्थाई चुनावी कार्यालय आया है। 

 महबूब का कहना है कि उसने स्कूल के बाद आईटीआई से प्रशिक्षण लिया है। जब कांग्रेस के एक स्थानीय कार्यकर्ता ने कहा कि वह जीविका चलाने के लिए कुछ-कुछ काम करता है, 20 वर्षीय महबूब ने तुरंत जवाब दिया ‘‘यह सही नहीं बोल रहा है। मैं एक अच्छी नौकरी की तलाश में हूं।’’   यह बताते हुए महबूब की आवाज में तकलीफ थी।  बाद में शहर के बाहरी हिस्से में बनी अपनी झुग्गी की ओर जाते हुए महबूब ने बताया कि कैसे उसने हालात के कारण हाईस्कूल के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ दी। उसके पिता ड्राइवर हैं और 5000 रुपये मासिक कमाते हैं।  कुछ ही मिनट बाद परमार की तरह महबूब ने भी संवाददाता से उसके काम, नौकरी, शिक्षा और वेतन के बारे में पूछा।  उसने सवाल किया, ‘‘क्या उन्होंने इस यात्रा के लिए तुम्हें वेतन से अलग पैसे दिए? क्या इस नौकरी के लिए प्रवेश परीक्षा देनी पड़ती है?’’  

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!