ऑफ द रिकॉर्डः डॉ. हर्षवर्धन ने इस तरह तोड़ी ‘कोरोना से भारत को कुछ नहीं होगा’ की धारणा

Edited By Pardeep,Updated: 21 Mar, 2020 06:17 AM

harsh vardhan broke the notion of nothing will happen to india from corona

यदि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने प्रधानमंत्री और मंत्रीसमूह के अपने कैबिनेट सहयोगियों के समक्ष कोरोना वायरस से लडऩे के लिए कठोर कदम उठाने की मुखर होकर वकालत न की होती तो देश अभी भी आत्मसंतोष (बेपरवाही) की स्थिति में रहता। देखा जाए तो...

नेशनल डेस्कः यदि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने प्रधानमंत्री और मंत्रीसमूह के अपने कैबिनेट सहयोगियों के समक्ष कोरोना वायरस से लडऩे के लिए कठोर कदम उठाने की मुखर होकर वकालत न की होती तो देश अभी भी आत्मसंतोष (बेपरवाही) की स्थिति में रहता। देखा जाए तो स्वास्थ्य मंत्री के रूप में वह फरवरी के पहले सप्ताह से अपने साथियों को यह समझाते आ रहे हैं कि चीन और इटली, जहां कोरोना वायरस ने घातक रूप ले लिया है, से सबक लेकर लोगों को अलग-थलग करना जरूरी है। जब प्रधानमंत्री ने उनके नेतृत्व में मंत्रियों के समूह का गठन किया, तब भी आत्मसंतोष का ही भाव व्याप्त था। सभी ऐसे सोच रहे थे मानो भारत में कुछ नहीं होने वाला। 
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हर्षवर्धन चाहते थे कि विदेश से आने वाले हर यात्री की कोरोना जांच हो परंतु उनके मनमाफिक कुछ नहीं हो रहा था। आखिर, चीजें आगे बढ़ीं और प्रधानमंत्री को उनकी प्रैजैंटेशन के बाद एक तरह से आपातकाल का भाव जागृत हो गया। प्रधानमंत्री का रविवार को 14 घंटे के ‘जनता कफ्र्यू’ का आह्वान आने वाले हालात का ट्रेलर भर है। सरकार आगे और रोक बढ़ा सकती है और ‘बंदी’ घोषित कर सकती है। अगर कोरोना वायरस ने सामाजिक स्तर पर फैलना शुरू कर दिया यानी अगर महामारी का तीसरा चरण शुरू होता है तो सरकार कठोरतम कदम उठाएगी।
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प्रधानमंत्री, जो हर घंटे कोरोना की स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं, चाहते हैं कि जो लोग पिछले दो महीनों में विदेश से आए हैं, उनकी पहचान करके उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलकर यह सुनिश्चित किया जाए कि क्या सब कुछ ठीक है। एक तरफ, केंद्र सरकार के 50 प्रतिशत कर्मचारियों को छुट्टी दे दी गई है तो दूसरी तरफ आयोगों, संस्थानों, बोर्डों व अन्य निकायों से कहा जा सकता है कि वे जरूरत होने पर खुलें। अगले हफ्ते से सावधानी के रूप में सुप्रीम कोर्ट भी बंद हो सकता है। यह होगा तो 31 मार्च तक होगा। 
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सूचना एवं दूरसंचार मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय मीडिया संचार संस्थान को सप्ताह में दो दिन काम करने को कहा गया है। इस कदम का उद्देश्य यह है कि बसों, मैट्रो व अन्य सार्वजनिक परिवहनों में भीड़ कम हो ताकि किसी समय पूरी तरह बंदी की जा सके। सरकार के लिए सबसे अधिक चिंता का विषय है इस महामारी के लडऩे के प्रति लोगों का असहयोगपूर्ण रवैया। जानिए, नागरिक उड्डयन एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने मंत्रीसमूह को क्या बताया। उन्होंने बताया कि इस समय प्रतिदिन 2 लाख लोग विमान यात्राएं कर रहे हैं और वे कोविड-19 का टैस्ट न कराने पर अड़ जाते हैं, अलग रखे जाने से बचते हैं और सिस्टम को गच्चा देने की कोशिश करते हैं। 
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उन्होंने बताया कि अकेले दिल्ली में मैट्रो में 45 लोख लोग रोज यात्रा कर रहे हैं। पिछले सप्ताह इनकी संख्या 65 लाख थी। 40 लाख लोग रोज बसों से सफर कर रहे हैं। यात्रियों की इस संख्या में कमी नहीं आ रही है, इसलिए सरकार ने निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को घर से काम करने को कहा है और 50 प्रतिशत सरकारी कर्मियों को छुट्टी दी है। भारतीय मैडीकल रिसर्च कैंसिल (आई.सी.एम.आर.) ने कम से कम मैट्रो को अविलंब बंद करने की सिफारिश की है। 

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