Edited By Mahima,Updated: 16 Apr, 2024 10:04 AM
आगरा में हसनुराम अंबेडकरी 'धरती पकड़' नाम के प्रत्याशी 98 बार चुनाव हार चुके हैं और अब वह 99वीं बार 2 आगरा सुरक्षित सीट और फतेहपुर सीकरी सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
नेशनल डेस्क: आगरा में हसनुराम अंबेडकरी 'धरती पकड़' नाम के प्रत्याशी 98 बार चुनाव हार चुके हैं और अब वह 99वीं बार 2 आगरा सुरक्षित सीट और फतेहपुर सीकरी सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। आगरा जिले की खेरागढ़ तहसील निवासी अंबेडकरी ने अपना पहला चुनाव मार्च 1985 में खेरागढ़ विधानसभा सीट से बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय के तौर पर लड़ा था। अंबेडकरी ने कहा कि "मैंने 1985 से ग्राम प्रधान, राज्य विधानसभा, ग्राम पंचायत, एम.एल.ए., एम.एल.सी. और लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा है।
मैंने भारत के राष्ट्रपति पद के लिए भी अपनी उम्मीदवारी दाखिल की थी लेकिन वह खारिज कर दी गई। मनरेगा मजदूर के रूप में अपना जीवन यापन करने वाले अंबेडकरी का कहना है कि "इस बार भी मुझे यकीन है कि मैं दोनों सीटों पर हार जाऊंगा। लेकिन, मेरा लक्ष्य 100वीं बार चुनाव लड़ना है और उसके बाद मैं कोई चुनाव नहीं लडूंगा। "जब अंबेडकरी से पूछा गया कि किस बात ने उन्हें लगातार चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया तो उन्होंने बताया कि "मैंने वर्ष 1984 के अंत में आगरा तहसील में 'अमीन' की अपनी नौकरी छोड़ दी क्योंकि बसपा ने मुझसे खेरागढ़ सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट देने का वादा किया था।"
उन्होंने कहा कि "बाद में क्षेत्र में पार्टी के तत्कालीन संयोजक ने मुझे टिकट देने से इन्कार कर दिया और उन्होंने मेरा मजाक उड़ाया कि 'तुम्हें तुम्हारी बीवी भी वोट नहीं देगी, तो और कोई तुम्हें क्या वोट देगा।" अंबेडकरी ने कहा कि अपमान का बदला लेने के लिए उन्होंने इस सीट से चुनाव लड़ा और चुनाव परिणाम में उन्हें तीसरा स्थान मिला। उन्होंने कहा कि "मैंने यह साबित करने के लिए और अधिक चुनाव लड़ने की योजना बनाई कि मुझे भी लोगों से वोट मिल सकते हैं।"