जानें कैसे मिस्र की शायरा को हुआ उर्दू और भारत से प्यार ?

Edited By Parminder Kaur,Updated: 28 Apr, 2024 01:07 PM

how egyptian poet dr walaa jamal fell in love with urdu india

अरब दुनिया की पहले सुप्रसिद्ध उर्दू कवि डॉ. वला जमाल अल असेली को मुशायरों की दुनिया में किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। वला बतौर शायर उर्दू नज्म, गजल, कतात, उदास शायरी, दोस्ती की शायरी, मुआशर्ती शायरी, मुहब्बत भरी शायरी, उदास गजलें, उम्मीद की...

इंटरनेशनल डेस्क. अरब दुनिया की पहले सुप्रसिद्ध उर्दू कवि डॉ. वला जमाल अल असेली को मुशायरों की दुनिया में किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। वला बतौर शायर उर्दू नज्म, गजल, कतात, उदास शायरी, दोस्ती की शायरी, मुआशर्ती शायरी, मुहब्बत भरी शायरी, उदास गजलें, उम्मीद की नज्में, दुखद कविता, प्रेम कविता, दोस्ती कविता, सामाजिक कविता, रिश्ता कविता, ब्रेकअप आदि पर कलाम कहती हैं। पूरे भारत में आयोजित होने वाले काव्य सत्रों में भाषा की सुंदरता का बखान किया जाता है। वला जमाल मिस्र की रहने वाली हैं इसलिए उनकी कविताएं भारत के कवियों के लिए सुखद आश्चर्य के रूप में सामने आती हैं। अधिकांश साहित्यकार जानते हैं कि भारत और मिस्र के बीच संबंध ममियों के इतिहास से भी पुराने हैं, लेकिन बहुत से लोग नहीं जानते कि उर्दू की जड़ें भी मिस्र में सौ साल का इतिहास रखती हैं। वला ने आवाज द वाॅय संवाददाता अमीना माजिद सिद्दीकी से खास बातचीत की।

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डॉ. वला जमाल ने उर्दू और भारत के प्रति अपने प्रेम का उल्लेख करते हुए कहा- अगर मैं भारत नहीं आती तो मुझे शांति नहीं मिलती। मैं हर साल भारत आने की कोशिश करती हूं। मुझे भारत की सभ्यता और संस्कृति पसंद है, मुझे 'भारतीय' कहलाना पसंद है, मुझे सम्मान मिलता है, मैं इसके लिए बहुत आभारी हूं। मैंने मिस्र में चार साल में उर्दू सीखी। मैं कभी पाकिस्तान नहीं गई (जहां उर्दू एक राष्ट्रीय भाषा है), लेकिन मैंने चार बार भारत का दौरा किया है। यह उर्दू के प्रति मेरा प्रेम ही था कि मैंने उर्दू में एमए किया और बाद में उसी भाषा में पीएचडी की डिग्री हासिल की। मैं अब उर्दू की एसोसिएट प्रोफेसर हूं। बचपन से मुझे कविता का शौक रहा है। मुझे उर्दू शायरी का शौक है। मुझे उर्दू शायरी बहुत पसंद है। उर्दू भाषा में मिठास है। यही इस भाषा के प्रति मेरे प्रेम का रहस्य है।

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वला जमाल ने आगे कहा- पहली बार जब मैं भारत गई तो एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद मैं यहां की सभ्यता और संस्कृति से मंत्रमुग्ध हो गई। मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे दिमाग पर जादू कर दिया हो। उसके बाद मैंने लिखना शुरू किया। मैंने एक कविता लिखी और इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और लोगों ने इसकी सराहना की। जब मुझे सराहना मिली तो मैंने इस पर ध्यान केंद्रित किया। मैंने सोचा कि मैं कविता आज़माऊंगी।


इसके अलावा वला ने कहा- मिस्र में हम उर्दू के बारे में नहीं जानते थे। हम केवल हिंदी फिल्मों के कारण हिंदी भाषा जानते थे। जब मैंने मिस्र में लोगों से उर्दू के बारे में पूछा तो मुझे बताया गया कि यह एक तरह की हिंदी है। इसलिए जब मुझे पता चला कि उर्दू हिंदी की तरह है, तो मुझे इसे सीखना चाहिए क्योंकि मुझे भारतीय फिल्मों और गाने सुनने में दिलचस्पी थी, इसलिए मेरा रुझान इसे सीखने की ओर हो गया।
 

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