Edited By Seema Sharma,Updated: 09 Sep, 2020 12:48 PM
कॉन्वलसेंट प्लाज्मा थेरेपी (CP) कोरोना वायरस संक्रमण के गंभीर मरीजों का इलाज करने और मृत्यु दर को कम करने में कोई खास कारगर साबित नहीं हो रही है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा वित्त पोषित बहु-केंद्रीय अध्ययन में यह पाया गया है।...
नेशनल डेस्कः कॉन्वलसेंट प्लाज्मा थेरेपी (Convulsant Plasma Therapy) कोरोना वायरस संक्रमण के गंभीर मरीजों का इलाज करने और मृत्यु दर को कम करने में कोई खास कारगर साबित नहीं हो रही है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा वित्त पोषित बहु-केंद्रीय अध्ययन में यह पाया गया है। Covid-19 मरीजों पर सीपी थेरेपी के प्रभाव का पता लगाने के लिए 22 अप्रैल से 14 जुलाई के बीच 39 निजी और सरकारी अस्पतालों में ‘ओपन-लेबल पैरलल-आर्म फेज द्वितीय मल्टीसेन्टर रेंडमाइज्ड कंट्रोल्ड ट्रायल' (पीएलएसीआईडी ट्रायल) किया गया।
सीपी थेरेपी में Covid-19 से उबर चुके व्यक्ति के रक्त से एंटीबॉडीज ले कर उसे संक्रमित व्यक्ति में चढ़ाया जाता है, ताकि उसके शरीर में संक्रमण से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके। अध्ययन में कुल 464 मरीजों को शामिल किया गया। ICMR ने बताया कि Covid-19 के लिए ICMR द्वारा गठित राष्ट्रीय कार्यबल ने इस अध्ययन की समीक्षा कर इससे सहमति जताई। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 27 जून को जारी किए गए कोविड-19 के ‘क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल' में इस थेरेपी के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। अध्ययन में कहा कि सीपी मृत्यु दर को कम करने और Covid-19 के गंभीर मरीजों के इलाज करने में कोई खास कारगर नहीं है। अध्ययन के अनुसार Covid-19 के लिए सीपी के इस्तेमाल पर केवल दो परीक्षण प्रकाशित किए गए हैं, एक चीन से और दूसरा नीदरलैंड से। इसके बाद ही दोनों देशों में इसे रोक दिया गया था।