रिल्स देखना दिमाग पर डालता है शराब पीने जितना असर? मनोवैज्ञानिक से जानिए कैसे

Edited By Updated: 15 Aug, 2025 08:31 PM

impact of social media reels on brain mental health effects

आजकल सोशल मीडिया पर रील्स देखने का चलन हर उम्र के लोगों में तेजी से बढ़ा है। हालांकि कुछ सेकंड की ये वीडियो देखने में कम समय लगती हैं, लेकिन इनके दिमाग पर गहरे प्रभाव पड़ रहे हैं। शॉर्ट-फॉर्म वीडियो की लत एक वैश्विक जन स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है।...

नेशनल डेस्क: आजकल सोशल मीडिया पर रील्स देखने का चलन हर उम्र के लोगों में तेजी से बढ़ा है। हालांकि कुछ सेकंड की ये वीडियो देखने में कम समय लगती हैं, लेकिन इनके दिमाग पर गहरे प्रभाव पड़ रहे हैं। शॉर्ट-फॉर्म वीडियो की लत एक वैश्विक जन स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है। चीन में इंटरनेट उपयोगकर्ता औसतन प्रतिदिन 151 मिनट वीडियो देखते हैं और 95.5 प्रतिशत लोग इससे जुड़े रहते हैं।

तियानजिन नॉर्मल यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान प्रोफेसर कियान वांग ने बताया कि अधिक रील्स देखने से न केवल ध्यान और नींद प्रभावित होती है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालता है और अवसाद (डिप्रेशन) की संभावना बढ़ाता है। उनका कहना है कि शॉर्ट-फॉर्म वीडियो से ध्यान, कौशल और अल्पकालिक स्मृति पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। न्यूरोलॉजिस्ट और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार लगातार रील्स देखना मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को उस स्थिति में पहुंचा सकता है, जैसा कि अल्कोहल के सेवन के बाद होता है।

गुरुग्राम के मारेंगो एशिया हॉस्पिटल्स के न्यूरो और स्पाइन विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण गुप्ता के मुताबिक, छोटे-छोटे वीडियो तेज गति से चलते हैं, जिससे मस्तिष्क को इन्हें संसाधित करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। ये वीडियो कम प्रयास में उच्च डोपामाइन रिलीज करते हैं, जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर असर डालती है। समय के साथ इसका प्रभाव बढ़ता जाता है और आगे चलकर यह मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। विशेषज्ञों ने बताया कि रील्स का फॉर्मेट छोटा और तेज होता है, जिससे मस्तिष्क को हर कुछ सेकंड में नई जानकारी या विजुअल मिलता है। इससे दिमाग त्वरित संतुष्टि का आदी बन जाता है, जो लंबे समय में ध्यान केंद्रित करने और किसी एक काम पर टिके रहने की क्षमता को कम कर सकता है। यह मस्तिष्क के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स को प्रभावित करता है, जो हमारे विचारों, व्यवहारों और भावनाओं को नियंत्रित करता है।

रील्स देखने और शराब पीने में क्या समानता है? न्यूरोलॉजिस्ट के अनुसार, जब हम रील्स देखते हैं तो दिमाग के रिवॉर्ड सेंटर को बार-बार छोटे-छोटे डोपामिन बूस्ट मिलते हैं। डोपामिन वह न्यूरोट्रांसमीटर है जो खुशी और संतोष की भावना पैदा करता है। शराब पीने पर भी यही डोपामिन रिलीज होता है। लगातार रील्स देखने पर दिमाग इस डोपामिन हिट का आदी हो जाता है, जिससे बार-बार नई रील देखने की इच्छा उत्पन्न होती है। ठीक वैसे ही जैसे शराब पीने वालों को बार-बार पीने की लत लगती है।

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