भारत में भावुक हुए पुर्तगाल के प्रधानमंत्री, दुनिया को दिखाया पीआईओ कार्ड

Edited By ,Updated: 08 Jan, 2017 08:28 PM

in india  the prime minister of portugal emotional

चौदहवें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे पुर्तगाल के प्रधानमंत्री डॉ. एंटोनियो कोस्टा विश्व के 72 देशों के प्रवासी भारतीयों के ...

बेंगलुरु :चौदहवें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे पुर्तगाल के प्रधानमंत्री डॉ. एंटोनियो कोस्टा विश्व के 72 देशों के प्रवासी भारतीयों के सम्मुख आकर भावुक हो गए और भारत की भूमि के साथ अपने पूर्वजों के रिश्तों पर गर्व जताते हुए जेब से निकाल कर अपना पीआईओ कार्ड दुनिया को दिखाया।

समाारोह को संबोधित करते हुए भावुक हुए कोस्टा
कर्नाटक की राजधानी के अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस बेंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी केन्द्र में आयोजित इस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, मुझे गर्व है कि भारतीय मूल का व्यक्ति हूं। उनकी आंखों में पानी दिखने लगा और उन्होंने कोट की ऊपर की जेब से पीआईओ कार्ड निकाल कर लहरा दिया।

भर्राये हुए गले से डॉ. कोस्टा बोले, मेरे पिता गोवा छोड़ कर चले गए थे लेकिन हमारे दिल से भारत नहीं निकला। मेरे परिवार के कई सदस्य भारतीय मूल के हैं और उनके पास पीआईओ कार्ड है। उन्होंने बताया कि वह गोवा जा रहे हैं और अपने पिता के स्थान को देखने की बहुत इच्छा है। उन्होंने कहा कि वह भारत एवं पुर्तगाल के बीच बेहद मजबूत संबंध चाहते हैं। मैं हमारे देशों के संबंधों में नई जान डालना चाहता हूं।

सकारात्मक सहयोग के लिए दिखाई उत्सुकता
उन्होंने भारत एवं पुर्तगाल के बीच मजबूत आर्थिक संबंधों की वकालत करते हुए कहा कि पुर्तगाल, अफ्रीका, अमेरिका और लैटिन अमेरिका के बीच में तीनों से जुड़ा हुआ है। पुर्तगाल की खास रणनीतिक भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाया जा सकता है। बाद में शाम को प्रेस ब्रीङ्क्षफग में विदेश मंत्रालय के सचिव (प्रवासी भारतीय मामले) ध्यानेश्वर मुले ने कहा कि डॉ. कोस्टा ने प्रधानमंत्री के साथ बातचीत में और प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में सकारात्मक सहयोग के लिए खासी उत्सुकता और सक्रियता दिखाई।

उन्होंने कहा, वह बांहें पसारे दिखाई दिए। उन्हें अपने भारतीय मूल का होने की बात को दुनिया के सामने स्वीकारने में कतई कोई झिझक नहीं हुई। मुले ने कहा कि यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि हर बार प्रवासी भारतीय सम्मेलन में भारतीय मूल के एक दो या तीन राष्ट्राध्यक्ष या शासनाध्यक्ष आते हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि भारतीय समुदाय कितना प्रतिभाशाली और भारत के मूल्यों से जुड़ा हुआ है।

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