PNB घोटाला: पिछले 5 सालों में बैंकों को लगा अरबों का चूना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Feb, 2018 07:23 PM

in the last 5 years banks have found billions of lime

बैंकिंग सेक्टर के 11,356 करोड़ रुपए के सबसे बड़े फ्रॉड ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। इस खुलासे के बाद जहां वित्त मंत्रालय में हड़कंप मच गया है वहीं अन्य सरकारी बैंकों में भी इसकी आंच आने की आशंका है...

नेशनल डेस्क: बैंकिंग सेक्टर के 11,356 करोड़ रुपए के सबसे बड़े फ्रॉड ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। इस खुलासे के बाद जहां वित्त मंत्रालय में हड़कंप मच गया है वहीं अन्य सरकारी बैंकों में भी इसकी आंच आने की आशंका है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आरबीआई और बैंक अधिकारियों की नाक के नीचे इस घोटाले को अंजाम कैसे दिया गया। इससे पहले भी कई सरकारी बैंको को अरबों का चुना लग चुका है । भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम)- बेंगलुरु के अध्ययन में इस बात की जानकारी दी गई है।

2017 में 179 करोड़ रुपये का हुआ फर्जीवाड़ा
अध्ययन के अनुसार देश के सरकारी बैंकों को 2012 से 2016 के बीच फर्जीवाड़े से कुल 227.43 अरब रुपये का चूना लग चुका है। हाल ही में सूचना-तकनीकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के आंकड़ों का हवाला देते हुए संसद को बताया था कि 1 जनवरी से 21 दिसंबर 2017 तक 179 करोड़ रुपये के बैंक फर्जीवाड़े के 25,800 से ज्यादा मामले सामने आए। इन फर्जीवाड़ों को क्रेडिट/डेबिट कार्ड्स और इंटरनेट बैंकिंग के जरिए अंजाम दिया गया था।

आईसीआईसीआई बैंक से पकड़े गए 455 फर्जी ट्रांजैक्शन 
मार्च 2017 में आरबीआई द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार 2016-17 के पहले नौ महीनों में आईसीआईसीआई बैंक से 1 लाख रुपये और ज्यादा की रकम के 455 फर्जी ट्रांजैक्शन पकड़े गए जबकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के 429, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के 244 और एचडीएफसी बैंक के 237 फर्जी ट्रांजैक्शन सामने आए। आंकड़े स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के 64 एंप्लॉयीज, एचडीएफसी बैंक के 49 एंप्लॉयीज जबकि ऐक्सिस बैंक के 35 एंप्लॉयीज की भूमिका इन फर्जी ट्रांजैक्शंस में पाई गई। आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से दिसंबर 2016 के बीच 177.50 अरब रुपय के फर्जीवाड़े के 3,870 मामले दर्ज करवाए गए। इन फर्जीवाड़ों में निजी और सरकारी बैंकों के 450 एंप्लॉयीज लिप्त थे। 

2014 में कई अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
आंकड़े बताते हैं कि 2011 में बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सेंट्रल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और आईडीबीआई के कुछ अधिकारियों ने 10,000 फर्जी अकाउंट बनाये और 1.5 अरब रुपये का ऋण हस्तांतरित किया। 2014 में मुंबई पुलिस ने कई सार्वजानिक बैंकों के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इन्होने 7 करोड़ रुपये से ज्यादा का फर्जीवाड़ा किया था। इलेक्ट्रोथर्म इंडिया ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के साथ 4.36 अरब रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी की।

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