Edited By Tanuja,Updated: 17 Jun, 2018 06:05 PM
यूनाइटेड नेशंस हाई-कमिश्नर फॉर ह्यूमन राइट्स (OHCR) की जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़ी रिपोर्ट पर भारत ने कड़ा एतराज जताया है...
न्यूयॉर्कः यूनाइटेड नेशंस हाई-कमिश्नर फॉर ह्यूमन राइट्स (OHCR) की जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़ी हैरानीजनक रिपोर्ट जारी की है जिस पर भारत ने कड़ा एतराज जताया है। भारत का आरोप है कि रिपोर्ट में उन शब्दों का प्रयोग ही नहीं हुआ है जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली हुई है। यूनाइटेड नेशंस (UN) की ओर से रिपोर्ट में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को आतंकी संगठन नहीं माना गया है।
इस रिपोर्ट में 38 बार इन संगठनों के लिए 'आर्म्ड ग्रुप' यानी 'हथियारों से लैस संगठन' इस शब्द का प्रयोग किया गया है। वहीं PoK को रिपोर्ट में 26 बार 'आजाद जम्मू कश्मीर' के तौर पर बताया गया है। वहीं लश्कर और जैश के आतंकी सरगनाओं को रिपोर्ट में सिर्फ 'लीडर' कहकर संबोधित किया गया है। इस रिपोर्ट को जैद राद अल हुसैन की ओर से तैयार किया गया है।
हुसैन ह्यूमन राइट्स के कमिश्नर हैं और भारत की ओर से इसका भी विरोध दर्ज कराया गया है। 49 पेज की इस रिपोर्ट को गुरुवार को जारी किया गया था जिसमें कोई भी करेक्शन नहीं है। सूत्रों की मानें तो जैद ने चार जून को भारत के साथ एक एडवांस कॉपी शेयर की थी और इसमें उन्होंने 'तथ्यात्मक गलतियां' होने की बात कही थी। यूएन की ओर से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लश्कर और जैश को आतंकी संगठन नहीं माना गया है।
UN सिक्योरिटी काउंसिल के रेजोल्यूशन 1267 के अनुसार इन्हें आतंकी संगठन करार दिया गया था। वहीं कश्मीर के लिए UNन हमेशा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य शब्दावली का प्रयोग करता आया है, पहली, पाकिस्तान-एडमिनिस्ट्रेटेड कश्मीर और इंडियन-एडमिनिस्ट्रेटेड कश्मीर। सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक यह रिपोर्ट यूएन की आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस नीति के एकदम विपरीत है। इस रिपोर्ट में कश्मीर के जून 2016 से अप्रैल 2018 तक के हालातों के बारे में लिखा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आजाद जम्मू कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान में पिछले दो वर्षों का दौरा हिंसा से भरा रहा है।