इंदौर दौराः सैफी मस्जिद पहुंचे पीएम मोदी, ओढ़ी शॉल, चूमी तहसीब

Edited By Yaspal,Updated: 14 Sep, 2018 07:27 PM

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एक वक्त था, जब तत्कालीन गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मुस्लिम टोपी पहनने से इंकार कर दिया था और एक आज का समय है, जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री...

नेशनल डेस्कः एक वक्त था, जब तत्कालीन गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मुस्लिम टोपी पहनने से इंकार कर दिया था और एक आज का समय है, जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं। वे आज इंदौर दौरे पर थे, जहां वो दाऊदी बोहरा समुदाय के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सैफी मस्जिद पहुंचे तो वहां उपस्थित लोगों ने पीएम को शॉल ओढ़ाई और तसबी दी गई, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।

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2002 के गुजरात दंगे के बाद हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत की दीवार खड़े हो जाने के बाद तत्कालीन गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी ने 2011 में सामाजिक सद्भावना कार्यक्रम शुरू किया। इस कार्यक्रम में इमाम मेंहदी हसन ने जेब से एक गोल मुस्लिम टोपी निकाल कर मोदी को पहनाने के लिए आगे बढ़े तो उन्होंने इमाम को रोक दिया। तब उन्होंने टोपी नहीं पहनी।

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कार्यक्रम के दौरान टोपी नहीं पहनने पर मोदी की जबरदस्त आलोचना की गई। उन्हें मुसलमान विरोधी छवि के रूप में प्रस्तुत किया गया। हालांकि उन्होंने उसके बाद आजतक कभी भी मुस्लिम समुदाय की टोपी नहीं पहनी है, जबकि दूसरे धर्मों के प्रतीक चिन्हों को वह स्वीकार करते रहे हैं। चाहे वो सिख समुदाय की पगड़ी रही हो या फिर इजराइल में यहुदी समुदाय की परंपरागत टोपी को पहनना रहा हो। उन्होंने इसे सहर्ष स्वीकार किया।

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आज नरेंद्र मोदी देश के पीएम हैं, उन्होंने दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय के 53वें धर्मगुरू सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन के साथ कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने नंगे पैर सैफी मस्जिद में प्रवेश किया और मजलिस में शामिल हुए। पीएम मोदी ने इस मौके पर हजरत इमाम हुसैन की शहादत के स्मरोत्सव ‘अशरा मुबारका’ में उपस्थित जन समुदाय को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी को बोहरा समुदाय के धर्मगुरू ने सैयदना ने ताबीज भी दिया। इतना ही नहीं मोदी को शॉल भी ओढ़ाई, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया।

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इस दौरान मोदी ने पूरे कार्यक्रम में सैयदान के द्वारा इमाम हुसैन की शहादत पर पढ़ी जाने वाली मजलिस को सुना, हुसैन के गम में पढ़े जाने वाली मरसिया को सुनते रहे और मातम मे शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन अमन और इंसाफ के लिए शहीद हो गए।

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