Edited By Seema Sharma,Updated: 16 Sep, 2020 10:29 AM
इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की पत्नी और इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सुधा मूर्ति की फोटो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है। वायरल फोटो में सुधा मूर्ति एक दुकान पर सब्जी बेचती दिख रही हैं। इस वायरल फोटो पर दावा किया जा रहा है कि...
नेशनल डेस्कः इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की पत्नी और इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सुधा मूर्ति की फोटो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है। वायरल फोटो में सुधा मूर्ति एक दुकान पर सब्जी बेचती दिख रही हैं। इस वायरल फोटो पर दावा किया जा रहा है कि सुधा मूर्ति साल में एक बार मंदिर के बाहर बैठकर सब्जियां बेचती हैं ताकि उनमें अहंकार न आ पाए। सुधा मूर्ति की इस फोटो को लोग काफी पंसद कर रहे हैं और कमेंट भी कर रहे हैं कि यह होता है डाउन अर्थ पर्सन। सब्जी बेचने वाला दावा करने वाली उनकी फोटो को पहली बार आईआरएस अफसर सुरभि ने अपने ट्विटर पर शेयर किया था।
फोटो के साथ उन्होंने लिखा, 'हर साल इंफोसिस के संस्थापक की पत्नी सुधा मर्ति एक दिन सब्जी बेचती हैं ताकि अहंकार उनसे दूर रहे, कैसे किसी के लिए पैसा उनके सिद्धांत नहीं बदल सकता। इनके इस ट्वीट के बाद ही लोगों ने इस पोस्ट के लाइक और शेयर करना शुरू किया। लेकिन काफी जांच-पड़ताल के बाद पता चला कि यह वायरल फोटो और न्यूज फेक है। इस फेक वायरल फोटो पर सुधा मूर्ति ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में बात की और बताया कि इस फोटोग्राफ और दुष्प्रचार को गंभीरता से लिया है। सुधा मूर्ति ने सोशल मीडिया में इस फोटो को पब्लिसिटी के रूप में प्रदर्शित किए जाने पर नाराजगी जताई और कहा कि इस तरह किसी कि फोटो को गलत ढंग से वायरल करना सही नहीं है।
सुधा मूर्ति ने बताया कि वो दुकान पर सब्जियां बेचने के लिए नहीं बल्कि एक भक्त के तौर पर बैठी थीं। उन्होंने कहा कि मंदिर में होने वाला अनुष्ठान मेरे दिल के बहुत करीब है और वे वहां पर सब्जियों के ढेर के बीच वहां से अच्छी सब्जियों छांटने के लिए बैठी थीं ताकि तीन दिन के धार्मिक समारोह के दौरान भोजन बनाया जाए। सुधा मूर्ति ने बताया कि यह तीन दिनी अनुष्ठान 'राघवेंद्र रायरा समराधने' मेरे घर के पास बेंगलुरु के जयनगर 5वें ब्लॉक में राघवेंद्र मठ में होता है। उन्होंने बताया कि वह इस अनुष्ठान में युवा आयु में ही करती आ रही हैं। वह वहां पहले अपनी दादी के साथ जाती थीं। दादी यह सब करती थीं और अब मैं भी हर साल वैसा ही करती हूं। उन्होंने ने बताया कि वह हर साल 3 दिन मठ की रसोई में जाती हैं और वहां अच्छी सब्जियां छांटती व उन्हें धोती हैं, इसके बाद इन्हें अनुष्ठान में बनने के लिए दिया जाता है।