'असंवेदनशीलता', मंत्रियों के बैठक में ना पहुंचने पर दिल्ली के LG ने AAP पर साधा निशाना

Edited By Yaspal,Updated: 08 Apr, 2024 10:41 PM

insensitivity  delhi lg targets aap for ministers not turning up for meeting

उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को लिखे एक पत्र में कहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद विभिन्न विभागों के कामकाज पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठकों में शामिल होने से इनकार कर दिल्ली सरकार के मंत्रियों ने...

नई दिल्लीः उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को लिखे एक पत्र में कहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद विभिन्न विभागों के कामकाज पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठकों में शामिल होने से इनकार कर दिल्ली सरकार के मंत्रियों ने ‘‘असंवेदनशीलता और गंभीरता के अभाव'' को प्रदर्शित किया। केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले के सिलसिले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। हालांकि, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री एवं आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि संविधान उपराज्यपाल को स्वास्थ्य एवं पानी जैसे विषयों पर निर्देश जारी करने की शक्ति नहीं देता है।

उपराज्यपाल ने केंद्रीय गृह सचिव को लिखे पत्र में कहा कि इस तरह की एक बैठक की जरूरत थी, ताकि केजरीवाल की हिरासत के बाद ‘‘शासन के रोजमर्रा के काम प्रभावित नहीं हों'' लेकिन मंत्रियों ने उनके आमंत्रण को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया कि आदर्श आचार संहिता लागू है। निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव की 16 मार्च को घोषणा किये जाने के साथ आदर्श आचार संहिता लागू हो गया।

उपराज्यपाल सचिवालय से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि दिल्ली के माननीय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उपराज्यपाल ने जल, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, पर्यावरण और वन आदि विभागों से संबंधित दिल्ली सरकार के प्रमुख मंत्रियों की एक बैठक बुलाने का निर्णय लिया था। पत्र में कहा गया है कि गोपाल राय, कैलाश गहलोत, आतिशी और सौरभ भारद्वाज को दो अप्रैल को एक बैठक के लिए एक पत्र भेजा गया था। इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि, सभी मंत्रियों ने उक्त बैठक में भाग लेने से इस आधार पर ईमेल के माध्यम से इनकार कर दिया कि चूंकि आदर्श आचार संहिता लागू है, इसलिए इस समय ऐसी बैठक उपयुक्त नहीं होगी।''

पत्र में कहा गया है, ‘‘माननीय उपराज्यपाल का मानना है कि इस तरह के एक परामर्श की जरूरत थी ताकि मुख्यमंत्री के हिरासत में रहने के दौरान शासन के रोजमर्रा के काम प्रभावित न हो।'' पत्र में यह भी कहा गया है कि ‘‘बैठक में शामिल नहीं होने के लिए जो तर्क दिया गया है वह अस्पष्ट जान पड़ता है और दिल्ली के नागरिकों के दैनिक जीवन को प्रभावित करने वाले विषयों के प्रति गंभीरता की कमी और असंवेदनशीलता को प्रदर्शित करता है।'' राज निवास के अधिकारियों के मुताबिक, उपराज्यपाल ने दो बार 29 मार्च और दो अप्रैल को मंत्रियों की बैठक बुलाई थी। अधिकारियों ने कहा कि हालांकि, मंत्रियों, विशेषकर स्वास्थ्य मंत्री भारद्वाज ने बहाना बनाते हुए उपराज्यपाल से मिलने से इनकार कर दिया।

भारद्वाज ने कहा, ‘‘मैं पूछना चाहता हूं कि संविधान का कौन सा प्रावधान उपराज्यपाल को स्वास्थ्य, पानी आदि जैसे हस्तांतरित विषयों पर निर्देश जारी करने का अधिकार देता है। मैं उन्हें स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे के बारे में लिखता हूं। वह कहते हैं कि यह एक स्थानांतरित विषय है।'' भारद्वाज ने कहा कि उन्हें एक व्हाट्सऐप संदेश मिला था और दावा किया कि उन्हें बैठक के एजेंडे के बारे में सूचित नहीं किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘वह गुप्त बैठक किस बारे में थी? जब उन्होंने एजेंडा लिखा, तो मैंने उन्हें बताया कि यह एक स्थानांतरित विषय है। यदि आप शासन करना चाहते हैं, तो चुनाव लड़ें। आप पिछले दरवाजे से सरकार नहीं चला सकते।''

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