क्या जानलेवा है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन दवा? रिपोर्ट्स ने किया दावा!

Edited By Chandan,Updated: 22 Apr, 2020 09:21 PM

is hydroxychloroquine drug dangerous reports claimed

कुछ रिसर्च में जब मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन को कोरोना के इलाज के लिए बेहतर माना गया तब अमेरिका ने भी इसे अपनाया और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से मेलरिया की इस दवा की बड़ी मात्रा में मांग की।

नई दिल्ली/डेस्क। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए दुनियाभर के साइंटिस्ट्स एक ऐसी दवा की खोज में जुटे हैं जिससे पूरी दुनिया को कोरोना बीमारी से बचाया जा सके। दुनियाभर में कोरोना के 2,575,199 संक्रमित मामले सामने आ चुके हैं जिनमें अब तक 178,658 लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच हर देश यही सोच रहा है कि आखिर कब तक कोरोना का टीका/वैक्सीन विकसित किया जा सकेगा।

वहीँ, कुछ रिसर्च में जब मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन को कोरोना के इलाज के लिए बेहतर माना गया तब अमेरिका ने भी इसे अपनाया और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से मेलरिया की इस दवा की बड़ी मात्रा में मांग की।

झूठा दावा!
ऐसे माना जा रहा था कि अमेरिका में बढ़ते कोरोना के संकट में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन दवा रामबाण का काम कर रही थी। पहले इस दवा को लेकर भारत ने निर्यात पर रोक लगा दी थी लेकिन अमेरिका के आग्रह पर इसे अमेरिका समेत दुनिया के 30 देशों तक पहुंचाने का भारत ने जिम्मा लिया था, लेकिन हालिया शोध ने दवा के इस दावे को झूठा साबित किया है!

जानलेवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन!
हाल ही में अमेरिका में हुए एक अध्ययन में इस दवा को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इस स्टडी में यह कहा गया है कि कोरोना के इलाज में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा कारगार नहीं है बल्कि ये मरीजों के लिए घातक सिद्द हो रही है। इस बारे में तुलनात्मक अध्ययन किया गया जिसके परिणाम काफी हैरान करने वाले है।

बताया जा रहा है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा जिन मरीजों को दी जा रही है वो सामान्य इलाज वाले मरीजों की तुलना में तेजी से मौत के शिकार हो रहे है।

क्या कहता है अध्ययन
इस बारे में अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के प्रोफेसरों ने एक रिसर्च में पाया है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा देने से पहले तो कोरोना मरीज की हालत ठीक रहती है लेकिन कुछ दिनों के बाद मरीज की हालत इतनी बिगड़ जाती है कि उसकी मौत हो जाती है।

बताते चले कि उस शोध से पहले भी कई वैज्ञानिक और कई देशों के जानकर, हेल्थ विशेषज्ञ भी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के प्रयोग को लेकर शंकाएं जता चुके हैं।

आंकड़ों के अनुसार
वहीँ इस शोध के परिणाम और वेटरन हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन  के आंकड़ों से मिली जानकारी की बात करें तो कोरोना के 97% लोगों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा दी गई थी, जिसमें से 28% कोरोना मरीजों की मौत हो गई जबकि अगर इन मरीजों का सामान्य तरीके से इलाज होता तो यह मरने वालों का आंकड़ा 11% होता।

 

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