Edited By Seema Sharma,Updated: 30 Mar, 2021 03:53 PM
ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में आज होने वाले ‘हार्ट ऑफ एशिया'' सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर भाग लेंगे। वहीं पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। सम्मेलन में दोनों देशों के मंत्रियों के शामिल होने की खबर...
नेशनल डेस्क: भारत ने कहा कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए देश के भीतर और इसके आस-पास शांति होना आवश्यक है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में यहां नौवें ‘हार्ट ऑफ एशिया' मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में शांति के लिए देश के अंदर और इसके आसपास सभी के हित समान होने आवश्यक हैं। जयशंकर ने ट्वीट किया कि अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए हमें सच्चे अर्थों में ‘दोहरी शांति' यानि अफगानिस्तान के भीतर और इसके आसपास शांति की आवश्यकता है। जयशंकर ने कहा कि हम आज एक ऐसा समावेशी अफगानिस्तान बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो दशकों के संघर्ष से पार पा सके, लेकिन ऐसा तभी संभव होगा, यदि हम उन सिद्धांतों के प्रति ईमानदार रहें, जो हार्ट ऑफ एशिया का लंबे समय से हिस्सा रहे हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि सामूहिक सफलता भले ही आसान नहीं हो, लेकिन इसका विकल्प केवल सामूहिक असफलता है। इस सम्मेलन में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी भाग लिया। जयशंकर ने ‘हार्ट आफ एशिया-इस्तांबुल' प्रक्रिया के नौवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में कहा, ‘‘हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जो न केवल अफगानिस्तान के लोगों के लिए बल्कि हमारे वृहद क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण है। अफगानिस्तान और इस वृहद क्षेत्र में जो कुछ घटित हो रहा है, उसे देखते हुए हमें ‘हार्ट आफ एशिया' शब्दावली को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
विदेश मंत्री ने कहा कि इसलिए सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह आतंकवाद, हिंसक कट्टरपंथ, मादक पदार्थों एवं आपराधिक गिरोहों से मुक्त हो। उन्होंने अफगानिस्तान में स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि वादे चाहे जो भी किए गए हों, लेकिन हिंसा एवं खून-खराबा दैनिक वास्तविकता है और संघर्ष में कमी के काफी कम संकेत दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में आम लोगों को निशाना बनाकर उनकी हत्या किए जाने की घटनाएं बढ़ी हैं और 2019 की तुलना में 2020 में नागरिकों की मौत के मामलों में 45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘2021 में भी स्थिति बेहतर नहीं हुई है।
अफगानिस्तान में विदेशी लड़ाकों की मौजूदगी खास तौर पर परेशान करने वाली है। जयशंकर ने कहा कि भारत परिवर्तन के इस दौर में अफगानिस्तान का पूरी तरह से समर्थन करने को प्रतिबद्ध है। अफगानिस्तान के विकास में हमने तीन अरब डॉलर का योगदान दिया है। जयशंकर के, यात्रा के दौरान सम्मेलन से इतर अन्य देशों के नेताओं से मिलने की संभावना है। तालिबान और अफगानिस्तान सरकार 19 साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए सीधे वार्ता कर रहे हैं। इस युद्ध में हजारों लोगों की जान चली गई और देश के कई हिस्से तबाह हो गए। भारत अफगानिस्ताान में शांति एवं स्थिरता के प्रयासों में बड़ा भागीदार रहा है।