जम्मू कश्मीर: महबूबा मुफ्ती को घर पर शिफ्ट किया गया, जारी रहेगी नजरबंदी

Edited By rajesh kumar,Updated: 07 Apr, 2020 01:05 PM

jammu and kashmir home sent to mehbooba mufti detention to continue

जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती को उनके घर में शिफ्ट कर दिया गया है। लेकिन उन्हें अभी हिरासत से छूट नहीं मिलेगी। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया था। अभी भी महबूबा जन सुरक्षा कानून PSA के तहत हिरासत...

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती को उनके घर में शिफ्ट कर दिया गया है। लेकिन उन्हें अभी हिरासत से छूट नहीं मिलेगी। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया था। अभी भी महबूबा जन सुरक्षा कानून PSA के तहत हिरासत में हैं।

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मुफ्ती को स्थानांतरित किए जाने का आदेश जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग ने जारी किया है। 60 वर्षीय मुफ्ती को पिछले साल पांच अगस्त को एहतियातन हिरासत में रखा गया था लेकिन बाद में छह फरवरी को उनके खिलाफ सख्त पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया। आदेश में कहा गया कि उन्हें मौलाना आजाद रोड की जेल से ‘‘फेयरव्यू गुपकर रोड” स्थानांतरित किया जा रहा है जो उनका आधिकारिक आवास है। इसमें बताया गया कि मु्फ्ती को स्थानांतरित किए जाने से पहले प्रशासन ने उनके आधिकारिक आवास को तत्काल प्रभाव से अधीनस्थ जेल का दर्जा दे दिया।

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गौरतलब है कि इससे पहले जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम व एनसी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को रिहा किया जा चुका है। दोनों पर लगाया गया PSA बीते महीने ही वापिस लिया गया है। फारूक और उमर अब्दुल्ला रिहा होने के बाद कई बार महबूबा सहित कई नजरबंद नेताओं की रिहाई की मांग की थी। 

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वहीं, महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने पूर्व में सरकार को पत्र लिखकर अपनी मां को रिहा करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया हुआ है। इससे ठीक होने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन का पता नहीं चल पाया है। ऐसे में सभी पहलुओं को देखते हुए मेरी मां महबूबा मुफ्ती समेत नजरबंद अन्य लोगों को रिहा किया जाना चाहिए। इल्तिजा ने उपराज्यपाल से कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए सिर्फ एक ही तरीका है अपने घर में एकांतवास में रहे। भीड़भाड़ वाली जेल और स्वास्थ्य सेवा की कमी के कारण प्रदेश की जेलों में अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से बंद कैदियों को यह वायरस अपनी चपेट में ले सकता है। अतिशयोक्ति नहीं होगी कि पूरे भारत में जेलें इस महामारी का नया केंद्र बन सकती हैं।

 

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