रिटारयमेंट पर बोले जस्टिस सीकरी- प्रत्येक जज में होना चाहिए कुछ नारीत्व अंश

Edited By Yaspal,Updated: 07 Mar, 2019 12:49 AM

justice sikri speaking on retirement  every judge should have some femininity

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर बुधवार को सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने कहा कि पूर्ण न्याय करने के लिए प्रत्येक न्यायाधीश में “नारीत्व के कुछ अंश’’ होने चाहिए। उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन...

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर बुधवार को सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने कहा कि पूर्ण न्याय करने के लिए प्रत्येक न्यायाधीश में “नारीत्व के कुछ अंश’’ होने चाहिए। उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में न्यायमूर्ति सीकरी भावुक हो गए और अपने पूरे करियर के दौरान मिली मदद के लिए न्यायपालिका एवं वकीलों का धन्यवाद किया।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई एवं न्यायमूर्ति एस ए बोबडे के साथ पीठ में शामिल होने के दौरान भी उनकी आंखें नम हो गई थीं। शाम में शीर्ष अदालत के लॉन में एससीबीए के कार्यक्रम के दौरान न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा, प्रकृति से मेरा कुछ अंश नारी सा है। इस लिंग में जिस तरह के गुण होते हैं अगर उसपर जाएं तो मेरे विचार में पूर्ण न्याय करने के लिए प्रत्येक न्यायाधीश में नारीत्व के कुछ अंश होने चाहिए।’’

उन्होंने कहा, “आखिर न्याय की प्रतीक एक देवी हैं। बेशक उसकी आंख पर पट्टी बंधी है लेकिन उसका दिल बंद नहीं है जहां से निष्पक्ष न्याय के गुण निकलते हैं।’’ प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने कहा कि न्यायमूर्ति सीकरी द्वारा प्रदर्शित आचरण एवं संवेदनशीलता युवाओं को प्रेरित करना जारी रखेगी।

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