केरल में बढ़़ रहा है भाजपा का जनाधार, सीट जीतना चुनौती

Edited By Anil dev,Updated: 29 Mar, 2019 12:13 PM

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केरल में भाजपा उम्मीदवार ने पहली बार 2016 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। उस समय पार्टी ने नेमम विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी। अब सवाल यह है कि क्या भाजपा को केरल से अपना पहला लोकसभा सदस्य 2019 में मिल पाएगा?

नई दिल्ली: केरल में भाजपा उम्मीदवार ने पहली बार 2016 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। उस समय पार्टी ने नेमम विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी। अब सवाल यह है कि क्या भाजपा को केरल से अपना पहला लोकसभा सदस्य 2019 में मिल पाएगा? 2014 के चुनाव में भाजपा को तिरुअनंतपुरम लोकसभा सीट पर कांग्रेस के शशि थरूर से कुल मतों के दो प्रतिशत से भी कम मतों से हार का सामना करना पड़ा था। 

 2019 का चुनाव पहला बड़ा चुनाव है
सितंबर में प्रसूति उम्र की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने सबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 2019 का चुनाव पहला बड़ा चुनाव है। इस आदेश से परंपरावादी लोग नाराज हो गए थे, जिनका मानना है कि मंदिर में विराजमान भगवान अयप्पा कुंवारे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सत्ताधारी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार के इसे लागू करने के निर्णय के बाद इसे लेकर राज्य में तीव्र विरोध हुआ। इसे कांग्रेस और भाजपा दोनों ने समर्थन दिया। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2016 के विधानसभा चुनाव के विश्लेषण से पता चलता है कि राज्य में तिरुअनंतपुरम लोकसभा सीट के अलावा और कहीं भी भाजपा मुकाबले में नहीं रह पाएगी। 2014 के चुनाव में 20 लोकसभा क्षेत्रों में से राजग 19 में तीसरे स्थान पर रहा था। 15 निर्वाचन क्षेत्रों में जीतने वाले उम्मीदवारों का वोट प्रतिशत राजग के उम्मीदवारों से लगभग 30 फीसदी अधिक था। 

क्या राज्य में 2014 के बाद भाजपा का जनाधार नहीं बढ़ा है? 
2016 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए परिस्थितियां बहुत अधिक नहीं बदलीं। हालांकि 2014 से 2016 के बीच राजग के वोट शेयर में चार फीसदी की बढ़ोतरी हुई, लेकिन इसे यदि लोकसभा क्षेत्रों के हिसाब से देखा जाए तो राजग राज्य में कोई सीट नहीं जीत पाएगा। 2016 के विधानसभा चुनाव में तिरुअनंतपुरम सीट पर भी राजग के समर्थन में कमी आई। वह 27 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहा। उसे एलडीएफ से 11 फीसदी कम वोट मिले। अब सवाल यह उठता है कि क्या राज्य में 2014 के बाद भाजपा का जनाधार नहीं बढ़ा है? हालांकि वोट शेयर पर ध्यान देने से पता चलता है कि 2009 से 2014 के लोकसभा चुनाव के बीच भाजपा का वोट शेयर चार फीसदी बढ़ा है। वहीं 2011 से 2016 के विधनसभा चुनाव में भी उसके वोट शेयर मेंं चार फीसदी की ही वृद्धि हुई है। इससे संकेत मिलता है कि भाजपा को राज्य में लोकसभा सीटों पर जीत नहीं मिलने जा रही है।

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