केरल के उच्च शिक्षा मंत्री जलील ने दिया इस्तीफा, पद का दुरूपयोग करने का लगा था आरोप

Edited By rajesh kumar,Updated: 13 Apr, 2021 06:34 PM

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मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि जलील ने मुख्यमंत्री को इस्तीफा भेज दिया है और त्याग पत्र राज्यपाल के यहां भेज दिया गया है। राजभवन के सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। जलील ने फेसबुक पर इस्तीफा...

नेशनल डेस्क: केरल के उच्च शिक्षा मंत्री के टी जलील ने पी विजयन मंत्रिमंडल से मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। इससे कुछ दिन पहले ही राज्य लोकायुक्त ने कहा था कि जलील ने अपने एक रिश्तेदार को लाभ पहुंचाने के लिए लोक सेवक के तौर पर अपने पद का ‘दुरुपयोग' किया। लोकायुक्त ने यह भी कहा था कि जलील को अपने पद पर रहने का अधिकार नहीं है। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि जलील ने मुख्यमंत्री को इस्तीफा भेज दिया है और त्याग पत्र राज्यपाल के यहां भेज दिया गया है। राजभवन के सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। जलील ने फेसबुक पर इस्तीफा देने की पुष्टि की है।

उन्होंने लिखा, “ मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि जो लोग मेरे खून के प्यासे रहे हैं, उन्हें अब सुकून मिल सकता है। मैंने मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। पिछले दो साल से मैं मीडिया के हमलों का सामना कर रहा हूं।” जलील भाई-भतीजावाद पर इस्तीफा देने वाले एलडीएफ सरकार के दूसरे मंत्री हैं। इससे पहले एलडीएफ की सरकार बनने के सिर्फ पांच महीने बाद ही उद्योग मंत्री ई पी जयराजन को अपने भतीजे और कन्नूर से पूर्व सांसद पीके श्रीमती के बेटे को केरल उद्योग एंटरप्राइजेस लिमिटेड का प्रबंध निदेशक नियुक्त कराने को लेकर इस्तीफा देना पड़ा था। बहरहाल, जलील ने इस्तीफा ऐसे समय में है जब एलडीएफ की इस सरकार का कार्यकाल पूरा होने में कुछ ही दिन बचे हैं।

उन्होंने लोकायुक्त के आदेश पर स्थगन का अनुरोध करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था जिसके एक दिन बाद ही जलील ने पद से इस्तीफा दे दिया। माकपा के सचिव प्रभारी ए विजयराघवन ने उनके फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह नैतिक आधार पर लिया गया है जबकि कांग्रेस ने कहा कि उन्हें बहुत पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था। विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथला ने जलील को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मंत्री के पास इस्तीफे के अलावा कोई विकल्प नहीं था। चेन्नीथला ने पूछा कि उन्होंने तीन दिन पहले लोकायुक्त की रिपोर्ट के तुरंत बाद ही इस्तीफा क्यों नहीं दिया? उन्होंने उच्च न्यायालय का क्यों रूख किया?

लोकायुक्त की, न्यायमूर्ति सी जोसेफ और न्यायमूर्ति हारून-उल-राशिद की खंडपीठ ने जलील के खिलाफ शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी और कहा था कि मंत्री के खिलाफ सत्ता के दुरुपयोग, लाभ पहुंचाने और भाई-भतीजावाद के आरोप साबित होते हैं। लोकायुक्त का फैसला मुस्लिम यूथ लीग के नेता द्वारा 2018 में की गई शिकायत पर आया है जिसमें आरोप लगाया गया था कि जलील के रिश्ते के भाई अदीब को केरल राज्य अल्पसंख्यक विकास वित्त निगम का महाप्रबंधक नियुक्त करने में नियमों की अनदेखी की गई है। अदीब को जब नियुक्त किया गया था तब वह एक निजी बैंक के प्रबंधक थे।

 

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