किसान आंदोलन में मर्दों के साथ कंधा मिलाकर खड़ी महिलाएं, बोली- जब खेतों हाथ बंटा सकती हैं तो यहां क्यों नहीं

Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Dec, 2020 04:34 PM

kisan andolan hundreds of women are accompanying in the protest

खेत और परिवार की जिम्मेदारियों से घिरी पंजाब और हरियाणा की सैकड़ों महिलाएं अब किसानों के आंदोलन में शामिल होकर अपनी व्यस्त जिंदगी के एक अलग ही पहलु से रुबरु हो रही हैं। दोनों राज्यों से आईं ये महिलाएं दिल्ली के विभिन्न प्रवेश मार्गों पर किसानों के...

नेशनल डेस्क: खेत और परिवार की जिम्मेदारियों से घिरी पंजाब और हरियाणा की सैकड़ों महिलाएं अब किसानों के आंदोलन में शामिल होकर अपनी व्यस्त जिंदगी के एक अलग ही पहलु से रुबरु हो रही हैं। दोनों राज्यों से आईं ये महिलाएं दिल्ली के विभिन्न प्रवेश मार्गों पर किसानों के साथ कृषि कानूनों का विरोध कर रही हैं। केंद्र द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए जब उनके पति, बेटा और भाई घर से निकले तो वे भी उनके साथ हो लीं और गांव से राष्ट्रीय राजधानी की तरीफ कूच कर दिया। लुधियाना की रहने वाली 53 वर्षीय मनदीप कौर ने कहा कि खेती के पेशे की पहचान लिंग से नहीं की जा सकती है। हमारे खेतों में मर्द और औरत के आधार पर फसल पैदा नहीं होती। कई पुरुष किसान यहां प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में हमें घरों में क्यों बैठना चाहिए। उन्होंने रूढ़िवादी भूमिका को भी खारिज कर दिया।

 

मनदीप बस के जरिये सिंघु बॉर्डर पर आई जहां पर करीब दो हफ्ते से किसानों का प्रदर्शन चल रहा है और रात में प्रदर्शन कर घर लौट गई। उन्होंने कहा कि मैं वापस आऊंगी। हमें अपना घर भी देखना है और लड़ाई भी जारी रखनी है। यहां आने से पहले मैंने खेतों में सिंचाई की और मेरे लौटने तक उसमें नमी रहेगी। उल्लेखनीय है कि दिल्ली को पंजाब के शहरों से जोड़ने वाले मुख्य मार्ग टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर जहां पुरुष प्रदर्शनकारी जमें हुए हैं, वहीं महिलाएं प्रदर्शन स्थल और अपने घरों के बीच संतुलन बनाने के लिए आ-जा रही हैं ताकि घर और खेतों की देखभाल भी कर सकें और प्रदर्शन में भी अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित कर सकें। मनदीप के साथ बस से पांच घंटे का सफर कर लुधियाना से सिंघु बॉर्डर उनकी पड़ोसी सुखविंदर कौर भी पहुंची हैं।

 

सुखविंदर कौर 68 वर्षीय विधवा हैं और घर में बैठकर उब गई थीं क्योंकि परिवार के पुरुष सदस्य प्रदर्शन स्थल पर हैं और इसलिए उन्होंने थोड़े समय के लिए ही सही लेकिन दिल्ली की सीमा पर आने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि मैं रात को ठीक से सो नहीं पा रही थी। मैं घर में नहीं बैठ सकती जब भाई और भांजे और मेरे सभी किसान भाई यहां लड़ रहे हैं। यहां आने पर पहली बार रात को मैं ठीक से सोई।'' उन्होंने कहा कि यहां पर सुविधा नहीं है और शौचालय की समस्या है लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उल्लेखनीय है कि मनदीप कौर सहित सैकड़ों महिलाएं अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन खालसा ऐड द्वारा मुहैया कराए गए टेंट में रह रही हैं।

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