लद्दाख लोकसभा सीट पर 6 मई को होगा मतदान : भाजपा को निर्दलीय प्रत्याशियों से खतरा

Edited By Monika Jamwal,Updated: 27 Apr, 2019 11:46 AM

ladakh voting bjp can face hard by independent candidates

जम्मू-कश्मीर की लद्दाख लोकसभा सीट पर पांचवें चरण चरण में 6 मई को वोट डाले जाएंगे। इसके बाद 23 मई को वोटों की गिनती होगी और चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे।

श्रीनगर (मजीद) : जम्मू-कश्मीर की लद्दाख लोकसभा सीट पर पांचवें चरण चरण में 6 मई को वोट डाले जाएंगे। इसके बाद 23 मई को वोटों की गिनती होगी और चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे। यह सीट जम्मू-कश्मीर की 6 लोकसभा सीटों में से एक है। इस बार लद्दाख लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने जामयांग शेरिंग नामग्याल को चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस पार्टी ने रिगजिन स्पालबार पर दांव लगाया है। इसके अलावा असगर अली कर्बलाई और सज्जाद हुसैन बतौर निर्दलीय अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। ऐसे में माना जाता है कि भाजपा को निर्दलीय प्रत्याशियों से खतरा हो सकता है। 

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लद्दाख लोकसभा सीट से पिछली बार भाजपा के थुपस्तान छेवांग ने जीत दर्ज की थी और यहां पहली बार कमल खिला था। साल 2014 के चुनाव में भाजपा के छेवांग को निर्दलीय प्रत्याशी गुलाम रजा ने कड़ी टक्कर दी थी। पिछले चुनाव में छेवांग को महज 36 वोटों से जीत मिली थी। छेवांग को 31 हजार 111 और गुलाम रजा को 31 हजार 75 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी सैयद मोहम्मद काजिम  रहे और उनको 28 हजार 234 वोट मिले। इसके साथ ही चौथे नंबर पर रहे कांग्रेस के सेरिंग सेम्फेल को 26 हजार 402 वोटों से संतोष करना पड़ा था। हालांकि छेवांग ने नवंबर 2018 में लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था और पार्टी नेतृत्व से असहमति का हवाला देते हुए भारतीय जनता पार्टी छोड़ दी थी। इससे पहले छेवांग निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 2004 का चुनाव जीते चुके हैं।

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लद्दाख लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है। क्षेत्रफल के लिहाज से यह भारत का सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है। इसका क्षेत्रफल 1.74 लाख वर्ग किलोमीटर है। पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर स्थित यह लोकसभा क्षेत्र कारगिल युद्ध के बाद राजनीतिक रूप से कमजोर और अस्थिर हो गया था। हिमालय की गोद में बसा यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण विश्व विख्यात है। यहां देश-दुनिया से पर्यटक घूमने आते हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की रीढ़ पर्यटन है। प्रदेश के दो जिलों कारगिल और लेह में यह लोकसभा सीट फैली हुई है। यह दोनों जिले जम्मू-कश्मीर के सबसे कम आबादी वाले जिले हैं। इस संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत चार विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें कारगिल, लेह, नोबरा और जानस्कार विधानसभाएं शामिल हैं।

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साल 1967 और 1971 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर केजी बकुला जीते थे। कांग्रेस के ही टिकट पर साल 1977 में पार्वती देवी और 1980 व 1984 में पी. नामग्याल संसद पहुंचे। साल 1989 का चुनाव निर्दलीय मोहम्मद हसन कमांडर जीतने में कामयाब रहे। साल 1991 में यहां चुनाव नहीं हुआ। 1996 में तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर पी. नामग्याल चुनाव जीते। इसके बाद इस सीट पर पहली बार नेशनल कांफ्रेंस जीती थी। साल 1998 में नेशनल कांफ्रेंस के टिकट पर सैयद हुसैन और 1999 में हसन खान संसद पहुंचे थे।

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साल 2004 में इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी थुपस्तान छेवांग जीते थे। साल 2009 में यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गई और इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी हसन खान जीतकर दूसरी बार संसद पहुंचे थे। साल 2014 में इस सीट से थुपस्तान छेवांग ने वापसी की और भाजपा के टिकट पर जीतकर वह भी दूसरी बार संसद पहुंच गए थे।
लद्दाख लोकसभा सीट पर वोटरों की संख्या 1.66 लाख है। इनमें 86 हजार पुरुष और 80 हजार महिला वोटर हैं। पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां की अधिकांश आबादी आदिवासी और बौद्धिस्ट है। यही कारण है कि साल 2009 में इस सीट को अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित कर दिया गया था। 2014 में यहां 70 फीसदी मतदान हुआ था।
 

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