Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Nov, 2019 07:07 AM
स्वप्नों के जरिए व्यक्ति भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में सौ फीसदी जानकारी प्राप्त कर सकता है। तंत्र शास्त्र की भाषा में इसे स्वप्न्र सिद्ध कहते हैं। स्वप्नसिद्धि हो जाने पर भी कोई व्यक्ति स्वप्न के
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स्वप्नों के जरिए व्यक्ति भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में सौ फीसदी जानकारी प्राप्त कर सकता है। तंत्र शास्त्र की भाषा में इसे स्वप्न्र सिद्ध कहते हैं। स्वप्नसिद्धि हो जाने पर भी कोई व्यक्ति स्वप्न के अपने सवालों का जवाब स्वप्न में ही पा सकता है। उसे अपने सवालों के जवाब के लिए बाहर जाने या किसी व्यक्ति से पूछने की जरूरत नहीं है। हां जिन लोगों को स्वप्न देखकर भूलने की आदत हो उनके लिए यह बेहतर होगा कि वे स्वप्न के बाद उठकर वांछित सवालों के जवाब नोट कर लें।
‘‘स्वप्न चक्रेश्वरी स्वप्ने अवतर अवतर,गतं वर्तमान कथय कथय स्वाहा।’’
एक लाख जप कर लेने के उपरांत यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। मंत्र के सिद्ध हो जाने पर साधक जब कभी भी 108 मनकों वाली माला से मंत्र जाप कर सो जाए तो उसे स्वप्न में ही अपने सवालों का जवाब मिल जाता है।
यों तो एक लाख मंत्रों को सही उच्चारण व श्रद्धा के साथ पूर्ण करने पर ‘स्वप्नसिद्धि’ प्राप्त हो जाती है। यदि कोई साधक उक्त मंत्र का इक्कीस हजार बार भी जप कर लेता है तो उसे स्वप्न में वांछित दृश्य संदेश मिलने लगते हैं। किंतु पूर्वोक्त मंत्र का जप शुरू करने के पहले गाय के गोबर से जगह लीप कर उस पर घी का दीया जला देना चाहिए। साथ ही उस पर बताशे अर्पित कर देने चाहिएं।
साधक को मन में (विचारहीन होकर) स्वप्न चक्रेश्वरी देवी का ध्यान कर उनका आह्वान करना चाहिए। चक्रेश्वरी देवी को अर्पित किए गए बताशों का प्रसाद अगले दिन सुबह कुमारी कन्याओं को बांट देना चाहिए।
‘स्वप्नसिद्धि’ के अभिलाषी व्यक्तियों को एक बात और ध्यान में रखनी चाहिए कि वे जब भी सोएं तो उत्तर दिशा की तरफ पैर करके ही सोएं साथ ही वे अपनी साधना काल में निर्मल विचारों में ही लीन रहें (यदि कोई व्यक्ति निर्मल विचारों में जीवन भर लीन रहे, तो इससे उत्तम बात और क्या हो सकती है)।
श्रद्धा और सद्भावना के साथ यदि वे इस सिद्धि के लिए साधना करते हैं, तो उन्हें निराशा हाथ नहीं लगनी चाहिए। जो लोग प्रयोग मूलक प्रवृत्ति के हैं, उनके लिए ‘स्वप्नसिद्धि’ समस्त जिज्ञासाओं का समाधान कर देगी। किंतु ‘स्वप्नसिद्धि’ कर लेने के बाद प्राप्त सूचनाओं का इस्तेमाल जनहित और विराट आत्म कल्याण के लिए ही करना चाहिए, अन्यथा सिद्धिकर्ता को प्रतिकूल परिणाम ही भुगतने पड़ सकते हैं।