Edited By Vatika,Updated: 23 Oct, 2018 10:08 AM
भाजपा चाहे जम्मू में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में सबसे ज्यादा सीटें जीतने का जश्न मना रही है, लेकिन वास्तविकता यह है कि भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। निकाय चुनावों का अगर बारीकी से अध्ययन किया जाए तो जम्मू शहर में पड़ने वाली 3 विधानसभा...
नेशनल डेस्क (धवन): भाजपा चाहे जम्मू में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में सबसे ज्यादा सीटें जीतने का जश्न मना रही है, लेकिन वास्तविकता यह है कि भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। निकाय चुनावों का अगर बारीकी से अध्ययन किया जाए तो जम्मू शहर में पड़ने वाली 3 विधानसभा सीटों में भाजपा के वोट बैंक में 51 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। भाजपा सांबा, कठुआ, ऊधमपुर, डोडा तथा रियासी जिलों में भी अपना प्रभुत्व खो चुकी है।
जम्मू शहर को भाजपा अपना गढ़ समझती थी, लेकिन उसमें 51 प्रतिशत की गिरावट आने से भाजपा के अंदर खलबली-सी मच गई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2014 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा जम्मू शहर में पड़ने वाली 3 विधानसभा सीटों गांधीनगर, जम्मू पूर्वी और जम्मू पश्चिमी में 1,48,081 वोटें हासिल हुई थीं। लेकिन अब सम्पन्न हुए स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा की वोटें सिमट कर 72,503 पर आ गईं, जो विधानसभा चुनावों की तुलना में 75,578 कम बताई गई है। इस तरह जम्मू में भाजपा के वोट आधे से ज्यादा कम हो गए हैं, जिससे भाजपा के अंदर खलबली-सी मच गई है।
जम्मू नगर निगम के 63 वार्ड तीनों विधानसभा हलकों में पड़ते हैं। 2014 के आंकड़ों को अगर देखा जाए तो जम्मू पश्चिमी में भाजपा को 69,627 वोट मिले थे, जबकि गांधीनगर में भाजपा को 56,679 और जम्मू पूर्वी में उसे 21,776 वोट मिले। अब निकाय चुनावों में देखा जाए तो उसे इन तीनों विधानसभा हलकों में क्रमश: 34013, 30058 तथा 8432 वोट मिले हैं, जो भाजपा के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं, जबकि दूसरी ओर कांग्रेस ने अपनी स्थिति जम्मू के तीनों हलकों में काफी सुधारी है। 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज गई है, क्योंकि इन तीनों विधानसभा हलकों ने ही भाजपा को जम्मू-पुंछ लोकसभा सीटें जीतने में मदद की थी।