Analysis: क्या शॉटगन का स्टारडम दिला पाएगा जीत?

Edited By Anil dev,Updated: 05 Apr, 2019 11:45 AM

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पिछली दो लोकसभा में पटना साहिब सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके शत्रुघ्न सिन्हा इस बार टिकट न मिलने से नाराज होकर भाजपा छोड़ चुके हैं। वह इसी सीट से कांगे्रस के उम्मीदवार होंगे। उनके सामने भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को...

इलेक्शन डेस्क: पिछली दो लोकसभा में पटना साहिब सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके शत्रुघ्न सिन्हा इस बार टिकट न मिलने से नाराज होकर भाजपा छोड़ चुके हैं। वह इसी सीट से कांगे्रस के उम्मीदवार होंगे। उनके सामने भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को चुनावी समर में उतारा है। कांगे्रस को आशा है कि शत्रुघ्न की लोकप्रिय सिनेमा स्टार की छवि रविशंकर पर उन्हें जीत दिला देगी। ऐसा माना जाता है कि भाजपा के लिए पटना साहिब उतनी ही सुरक्षित सीट है, जैसा किशनगंज कांगे्रस के लिए और नालंदा जदयू के लिए है। शत्रुघ्न सिन्हा अक्सर कहते रहे हैं कि वह भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। इस बार अपनी पुरानी पार्टी के खिलाफ जीत हासिल करना टेढ़ी खीर साबित होने वाला है। 

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आम चुनाव में भारी अंतर से जीते थे भाजपा प्रत्याशी 
इस चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी व्यक्तिगत शक्ति, स्टार की छवि और दो बार सांसद रहने का कितना फायदा मिलता है। उनको खुद भी पता चल जाएगा कि भाजपा के कार्यकर्ताओं के बिना अपनी ताकत कितनी है। हालांकि कांगे्रस और राजद का सहयोग तो उन्हें मिलेगा ही। परिसीमन के बाद 2009 में पाटलिपुत्र और पटना साहिब सीटें अलग कर दी गई थीं, तब से अब तक भाजपा यह सीट नहीं हारी है। पटना साहिब सीट में जिले के अधिकतर शहरी क्षेत्र आते हैं। वहीं पाटलिपुत्र सीट में पटना के अद्र्ध शहरी और ग्रामीण इलाके शामिल हैं। भाजपा प्रत्याशी के रूप में 2014 के आम चुनाव में वह भारी अंतर से जीते थे। तब उनको 55 फीसदी यानी चार लाख 85 हजार से अधिक मत मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद के विजय यादव को केवल 24.93 फीसदी यानी दो लाख 20 हजार वोट। 

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रविशंकर के लिए आसान नहीं होगा पटना साहिब का चुनाव
वहीं 2009 के आम चुनाव में भी 57.30 फीसदी यानी तीन लाख 16 हजार वोट हासिल कर राजद प्रत्याशी को हराया था। उस चुनाव में कांगे्रस ने टीवी स्टार शेखर सुमन को सिन्हा के सामने उतारा था, जिनको केवल 11.10 फीसदी यानी साठ हजार से कुछ अधिक वोट मिले थे। भाजपा के अंदरूनी सुत्र कहते हैं कि पटना साहिब का चुनाव रविशंकर के लिए आसान नहीं होगा। पार्टी संगठन में कई अहम पदों व केंद सरकार में कई मंत्रालय संभालने का अनुभव रखने वाले रविशंकर प्रसाद ने एक बार भी लोकसभा चुनाव नहीं जीता। वह तीन बार राज्यसभा के लिए चुने गए हैं। उनकी छवि भले ही अच्छी हो, लेकिन वह जनप्रिय नेता भी नहीं हैं। दोनों ही कायस्थ जाति से ताल्लुक रखते हैं। कायस्थों के एक संगठन कायस्थ चित्रगुप्त सेना के अध्यक्ष पांडे अभिषेक कहते हैं कि न तो शत्रुघ्न सिन्हा और न ही रविशंकर ने पटना साहिब क्षेत्र में कोई शानदार काम किया है। इस सीट के 23 लाख मतदाताओं में ऊंची जाति के कायस्थ, ओबीसी बनिया, यादव और मुस्लिम प्रभावशाली वर्ग हैं। 

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