Edited By Anil dev,Updated: 30 Nov, 2019 08:42 AM
महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए सभी तरह के सिद्धांत फेल होने के बाद भी भाजपा पवारों के खेल में फंस गई और भाजपा नेता देवेंद्र फडऩवीस नेतृत्व करने को तैयार हो गए। वहीं भाजपा सरकार गठन के कुछ समय बाद गिरने से अब कुछ और चीजें सामने आ रही हैं।
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए सभी तरह के सिद्धांत फेल होने के बाद भी भाजपा पवारों के खेल में फंस गई और भाजपा नेता देवेंद्र फडऩवीस नेतृत्व करने को तैयार हो गए। वहीं भाजपा सरकार गठन के कुछ समय बाद गिरने से अब कुछ और चीजें सामने आ रही हैं। इसमें राकांपा प्रमुख शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के बीच तीखे मतभेद खुलकर सामने आ गए। इस दौरान अजीत पवार ने अपने बेटे पार्थ पवार की मावल लोकसभा से हुई हार का बदला भी लिया क्योंकि उन्हें लगा कि शरद पवार ने उनके बेटे की मदद नहीं की।
वहीं अजीत पवार भाजपा के साथ गठबंधन के पक्ष में थे जबकि शरद पवार ने कभी भी भतीजे के साथ अपनी योजनाओं को सांझा नहीं किया था। इसी के चलते जब शरद पवार शिवसेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर रहे थे, तब अजीत पवार और फडऩवीस मिले। उन्होंने देवेंद्र फडऩवीस को कहा कि उनके पास राकांपा के 54 विधायकों में से केवल 28 विधायकों का ठोस समर्थन है। लेकिन उनके पास सभी 54 विधायकों के हस्ताक्षर हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने कवरिंग लैटर के साथ राज्यपाल के सामने राकांपा विधायक दल के नेता के रूप में हस्ताक्षर करेंगे। अजीत ने भाजपा नेताओं से कहा कि 28 विधायक सदन में उन्हें वोट देंगे। इस पर भाजपा के 105, 15 निर्दलीय और 28 राकांपा विधायकों के समर्थन से सदन में बहुमत हासिल करेंगे।
इस पर भाजपा नेताओं ने अमित शाह व पी.एम. नरेंद्र मोदी से समझौते पर चर्चा की और निर्णय लिया कि जोखिम लेने में कुछ गलत नहीं है और एक बार सरकार बनने के बाद राकांपा के बाकी विधायक खुद लाइन में होंगे। याद रहे कि अमित शाह व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़े जोखिम लेने व हर प्रकार से सरकार गठन में कोई कमी नहीं छोड़ते हैं। वहीं शरद पवार भाजपा से भी आगे निकले और उन्होंने अजीत पवार को वापस बुला लिया और राज्यपाल कोश्यारी पर हमला नहीं किया।