महाराष्ट्र इमारत: मलबा हटाने वाले व्यक्ति की लगातार काम करने के लिए हो रही तारीफ

Edited By Ali jaffery,Updated: 26 Aug, 2020 06:04 PM

maharashtra raigarh building

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में पांच मंजिला इमारत के गिरने के बाद बचाव कार्य में लगे एक भारी मशीन के संचालक को प्रशासन और स्थानीय लोगों से प्रशंसा मिल रही है क्योंकि उन्होंने इमारत के मलबे को हटाने के लिए एक तरह से लगातार काम किया है।

मुंबई: महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में पांच मंजिला इमारत के गिरने के बाद बचाव कार्य में लगे एक भारी मशीन के संचालक को प्रशासन और स्थानीय लोगों से प्रशंसा मिल रही है क्योंकि उन्होंने इमारत के मलबे को हटाने के लिए एक तरह से लगातार काम किया है। यह इमारत सोमवार देर शाम गिर गई थी जिसमें 15 लोगों की मौत हुई। हालांकि अधिकारियों ने बुधवार सुबह करीब 11 बजकर 30 मिनट पर बचाव अभियान रोक दिया लेकिन इस स्थल से मलबा हटाने का काम वास्तव में अब भी जारी है। मशीन के संचालक 24 वर्षीय किशोर भागवत लोखंडे अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ महाड के बस स्टैंड के निकट रहते हैं। उन्हें सोमवार शाम में अपने कार्यालय की तरफ काजलपुरा जाने के लिए फोन आया। यहीं पांच मंजिला इमारत गिरी थी। लोखंडे ने पीटीआई-भाषा को बताया, च्च् मुझे एक पोक्लैन मशीन से स्थल से मलबा हटाने के लिए कहा गया था और तब से मेरा काम जारी है क्योंकि स्थल से अब भी काफी मलबा हटाना है।

 उन्होंने कहा, सोमवार से मैं बचाव दलों की मलबे में शवों की तलाश करने में मदद कर रहा हूं। इस अवधि के दौरान मैं मशीन से करीब चार बार ही उतरा हूं, या तो शौच जाने के लिए या फिर कुछ मीडिया कर्मी मेरी तस्वीरें लेना चाहते थे, उसके लिए। संचालक ने कहा कि इस घटना में मरने वाले लोगों के लिए उन्हें दुख हो रहा है। लोखंडे ने कहा, मुझे दुख हुआ कि इस घटना में कई लोगों की मौत हो गई। लेकिन जब बचाव दल ने चार साल के बच्चे को मलबे से जिंदा निकाला तो मुझे बहुत खुशी हुई।'' लोखंडे ने बताया कि उन्होंने बचाव दल को कम से कम 10 शव बरामद करने में मदद की थी। 

एक पुलिस अधिकारी ने लोखंडे को बिना रूके लगातार काम करने के लिए च् असली हीरो' बताया। अधिकारी ने कहा कि लोखंडे पिछले 30 घंटे से ज्यादा समय से मलबे को हटा रहे हैं। लोखंडे के अलावा अन्य जेसीबी और डंपर मशीन चलाने वाले संचालकों की भी अधिकारी प्रशंसा कर रहे हैं। लोखंडे ने कहा कि इमारत को गिरा हुआ देखकर और मलबे से शवों को निकालते हुए देखकर, उनका मन खाने का नहीं हुआ। संचालक ने कहा कि मंगलवार को दोपहर में उन्होंने दो समोसे खाये और रात में खिचड़ी खाई थी। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता था कि खाने का समय भी वह बचाव अभियान में दे दें। मराठवाड़ा के बीड जिले से ताल्लुक रखने वाले लोखंडे ने कहा कि वह कुछ साल पहले नौकरी की तलाश में मुंबई आए थे। इसके बाद छह साल से वह ऐसी मशीनों को चला रहे हैं। 

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