नारद स्टिंग मामले में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची ममता

Edited By Yaspal,Updated: 21 Jun, 2021 09:34 PM

mamta reached the sc against the order of the hc in the narada sting case

नारद स्टिंग टेप मामले में सीबीआई द्वारा 17 मई को तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं की गिरफ्तारी के दिन अपनी और प्रदेश के कानून मंत्री मलय घटक की भूमिका को लेकर कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा हलफनामा दायर करने की इजाजत नहीं दिए जाने के बाद पश्चिम बंगाल की

नई दिल्लीः नारद स्टिंग टेप मामले में सीबीआई द्वारा 17 मई को तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं की गिरफ्तारी के दिन अपनी और प्रदेश के कानून मंत्री मलय घटक की भूमिका को लेकर कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा हलफनामा दायर करने की इजाजत नहीं दिए जाने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ मुख्यमंत्री, घटक और पश्चिम बंगाल द्वारा दायर अलग -अलग अपीलों पर मंगलवार को सुनवाई करेगी।

इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह घटक द्वारा दायर याचिका पर 22 जून को सुनवाई करेगी। न्यायालय ने 18 जून को हाईकोर्ट से अनुरोध किया था कि वह शीर्ष अदालत द्वारा आदेश के खिलाफ राज्य सरकार और घटक की याचिका पर विचार करने के एक दिन बाद मामले की सुनवाई करे।

नारद स्टिंग टेप मामले की सुनवाई विशेष सीबीआई अदालत से हाईकोर्ट स्थानांतरित करने संबंधी सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोलकाता हाईकोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने नौ जून को कहा था कि वह मामले में चार नेताओं की गिरफ्तारी के दिन बनर्जी और घटक की भूमिका को लेकर उनके द्वारा दायर हलफनामे पर विचार करने के बारे में बाद में फैसला करेगी।

घटक और राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ताओं राकेश द्विवेदी और विकास सिंह ने कहा था कि उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड में हलफनामों का लाया जाना जरूरी है क्योंकि वे 17 मई को संबंधित व्यक्तियों की भूमिका के बारे में हैं।

द्विवेदी ने कहा कि कानून मंत्री मंत्रिमंडल की बैठक में हिस्सा ले रहे थे और सुनवाई के वक्त अदालत परिसर में नहीं थे। उन्होंने कहा कि सीबीआई अधिकारी भी मौके पर नहीं थे क्योंकि एजेंसी के वकील डिजिटल रूप से अदालत से संवाद कर रहे थे। यह आरोप लगाया गया था कि राज्य के सत्ताधारी दल के नेताओं ने मामले में 17 मई को चार नेताओं की गिरफ्तारी के बाद सीबीआई को उसके विधिक दायित्वों के निर्वहन से रोकने में अहम भूमिका निभाई।
 

सिंह ने दलील दी कि नियमों के मुताबिक हलफनामे दायर करने का अधिकार है और इतना ही नहीं सीबीआई ने तीन हलफनामे दायर किये हैं और अदालत की इजाजत नहीं ली थी। सॉलिसिटर जनरल ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया था कि विलंब के आधार पर हलफनामों को स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्हें उनकी जिरह पूरी होने के बाद दायर किया गया है।
 

नारद स्टिंग टेप मामले की सुनवाई विशेष सीबीआई अदालत से हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने का अनुरोध कर रही सीबीआई ने वहां अपनी याचिका में मुख्यमंत्री और कानून मंत्री को भी पक्ष बनाया है। एजेंसी ने दावा किया था कि चार नेताओं की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री कोलकाता में सीबीआई कार्यालय में धरने पर बैठ गई थीं, जबकि 17 मई को विशेष सीबीआई अदालत में डिजिटल माध्यम से मामले की सुनवाई के दौरान घटक, बंशाल अदालत परिसर में मौजूद थे।

हाईकोर्ट के 2017 के एक आदेश पर नारद स्टिंग टेप मामले की जांच कर रही सीबीआई ने मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फरहाद हकीम, तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी को गिरफ्तार किया था।

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