चंद्रबाबू नायडू की पहल पर भाजपा के खिलाफ 10 दिसंबर को बुलाई गई बैठक

Edited By Naresh Kumar,Updated: 07 Dec, 2018 03:29 PM

meeting convened on december 10 against bjp on the initiative of naidu

कांग्रेस और भाजपा को भले ही 11 दिसम्बर को आने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों का बेसब्री से इंतजार हो लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों और देश की अन्य पोलिटिकल पार्टियों की नजरें चुनावी नतीजों

जालंधर(नरेश कुमार): कांग्रेस और भाजपा को भले ही 11 दिसम्बर को आने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों का बेसब्री से इंतजार हो लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों और देश की अन्य पोलिटिकल पार्टियों की नजरें चुनावी नतीजों से एक दिन पहले 10 दिसम्बर को दिल्ली में होने जा रही विपक्षी पार्टियों की बैठक पर लगी हैं। यह बैठक एन.डी.ए. का हिस्सा रहे चंद्रबाबू नायडू की पहल पर बुलाई जा रही है। यह बैठक पहले 22 नवम्बर को बुलाई गई थी लेकिन 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के कारण इस बैठक को स्थगित किया गया था और नई तिथि 10 दिसम्बर की निर्धारित की गई। इस बैठक में संसद के आने वाले सत्र के दौरान भाजपा के खिलाफ रणनीति के अलावा देश में 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के खिलाफ बनने वाले संभावित गठबंधन पर चर्चा होगी। बैठक में ममता बनर्जी द्वारा 19 जनवरी को कोलकाता में रखी गई विपक्षी दलों की रैली को लेकर भी चर्चा हो सकती है।
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कौन-कौन बैठक में होगा
बताया जा रहा है कि कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी या सोनिया गांधी इस बैठक में शामिल हो सकती हैं। सोनिया अभी भी यू.पी.ए. की संयोजक हैं, इस लिहाज से वह बैठक में जा सकती हैं। इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस की तरफ से ममता बनर्जी बैठक में शामिल हो सकती हैं। इनके अलावा शरद पवार ए.डी.एम.के. प्रमुख स्टालिन और एच.डी. देवेगौड़ा ने बैठक में शामिल होने पर सहमति जताई है जबकि उत्तर प्रदेश के दोनों प्रमुख दलों बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बैठक में भाग लेने पर स्थिति स्पष्ट नहीं है। हालांकि माना जा रहा है कि सपा अपने किसी प्रतिनिधि को बैठक में भेज सकती है जबकि बसपा कोई भी राजनीतिक फैसला लेने से पहले 11 दिसम्बर को आने वाले 5 राज्यों के चुनाव परिणाम को देखना चाहती है जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की बैठक में उपस्थिति को लेकर भी सस्पैंस बना हुआ है। हालांकि ममता बनर्जी और चंद्रबाबू नायडू अरविन्द केजरीवाल को गठबंधन में चाहते हैं लेकिन कांग्रेस अरविन्द केजरीवाल की उपस्थिति से सहज नहीं है।
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बैठक से पहले बड़े सवाल 

  • क्या चंद्रबाबू नायडू यू.पी.ए. से अलग मोर्चा बनाएंगे 
  •  क्या यू.पी.ए. इस मोर्चे के साथ तालमेल करेगा या मोर्चे में विलय होगा 
  •  क्या वामपंथी पार्टियां इस मोर्चे का हिस्सा बनेंगी 
  • मोर्चा सीटों का बंटवारा कैसे करेगा 
  • इस मोर्चे में प्रधानमंत्री पद का चेहरा कौन होगा 

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तेलंगाना के प्रयोग पर नजरें 
हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें भारतीय जनता पार्टी के शासन वाले मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव पर टिकी हैं लेकिन गठबंधन के लिहाज से तेलंगाना का नतीजा अहम है। बिहार के बाद तेलंगाना में दूसरी बार गठबंधन बना है। इस गठबंधन में कांग्रेस ने अपनी चिर प्रतिद्वंद्वी तेलुगू देशम पार्टी के साथ तालमेल किया है। तेलंगाना जन सेना और कम्युनिस्ट पार्टियां भी इसमें शामिल हैं जिसे महाकुटामी नाम दिया गया है। यदि यह गठबंधन टी.आर.एस. के खिलाफ कामयाब रहा तो यह प्रयोग दूसरे राज्यों में भी होगा और लोकसभा चुनाव में राज्यवार गठबंधन पर विचार हो सकता है।
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