Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jul, 2017 09:53 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कुर्सी संभालने के बाद कश्मीरियों का दिल जीतने के लिए किए गए तमाम प्रयास फेल होते नज...
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कुर्सी संभालने के बाद कश्मीरियों का दिल जीतने के लिए किए गए तमाम प्रयास फेल होते नजर आ रहे हैं। लिहाजा अब पार्टी के भीतर से ही जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग उठने लगी है। पार्टी के सीनियर लीडर सुब्रमण्यम स्वामी ने मंगलवार को कहा कि अब वक्त आ गया है कि जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए। जम्मू कश्मीर सरकार में भाजपा 25 सीटों के साथ दूसरी बड़ी ताकत है और यदि भाजपा पीडीपी से समर्थन वापिस ले ले तो राज्य में राष्ट्रपति शासन की नौबत आ सकती है।
दिल जीतने के लिए मोदी के प्रयास
-प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के साथ मोदी ने कश्मीरियों के दिल जीतने के प्रयास भी शुरू कर दिए थे। मई 2014 में कुर्सी संभालने के 5 महीने बाद ही कश्मीर में जबरदस्त बाढ़ आई तो पीए मोदी ने न सिर्फ आगे बढ़कर कश्मीरियों का हाथ पकड़ा बल्कि खुद भी उनके दुख में शरीक हुए। मोदी ने बाढ़ पीड़ितों के लिए 745 करोड़ का पैकेज दिया इस पैसे से उन घरों का पुर्णनिर्माण करवाया गया जो बाढ़ में बर्बाद हो गए थे। इस दौरान पीएम ने दीवाली भी कश्मीर में ही मनाई।
-इस घटना के एक साल बाद नवंबर 2015 में मोदी एक बार फिर श्रीनगर गए और राज्य के विकास के लिए 80 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की इसमें से 44 हजार 800 करोड़ रुपए आधारभूत ढ़ांचे और पर्यटन पर खर्च करने की योजना बनाई गई।
-प्रधानमंत्री ने उधमपुर को श्रीनगर से जोडऩे वाली 2519 करोड़ की लागत से बनाई गई सबसे लंबी सुरंग का भी उद्घाटन किया। ये सुरंग न सिर्फ अधारभूत ढांचे के तौर पर एक बड़ा प्रोजैक्ट है बल्कि इससे जम्मू और श्रीनगर के लोगों का आपसी संपर्क को बेहतर बानने का भी मकसद है।
दक्षिण कश्मीर के हालात बेकाबू
प्रधानमंत्री राज्य के विकास के लिए निजी तौर पर दिलचस्पी लिए जाने के बावजूद कश्मीर के लोगों का दिल नहीं जीत सके और कश्मीरियों को आतंकी बुरहान वानी में ही अपना हीरो नजर आया और बुरहान की मौत के बाद दक्षिण कश्मीर के अंतनाग, बारामुला, बडग़ाम, बांदीपुर, गांदरबलद्य, कुपवाड़ा, कुलगाम, पुलवामा व शोपियां सहित श्रीनगर में भी हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। राज्य के इस हिस्से में लगातार हिंसा हो रही है और हर जुम्मे की नमाज के बाद लोग पत्थरबाजी पर उतारू हो जाते हैं। इस इलाके में कानून-व्यवस्था के ठप्प होने के चलते न सिर्फ पर्यटन पर इसका असर हुआ बल्कि राज्य की छवि को भी नुक्सान पहुंचा है।
जम्मू-कश्मीर के नियम अलग
देश के किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए संविधान की धारा 356 के प्रावधानों का पालन किया जाता है जबकि जम्मू कश्मीर में ऐसा नहीं है। जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासान लगाने के लिए संविधान की धारा 92(1) के प्रावधानों का पालन करना होता है। जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन राष्ट्रपति की सहमती से राज्य के कानून के तहत ही लगाया जा सकता है। एक बार राज्य के संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति शासन लगने के बाद यदि 6 महीने में संविधानिक मशीनरी काम करना शुरू नहीं करती तो राष्ट्रपति शासन की अवधि भारतीय संविधान की धारा 356 के तहत बढा़ई जा सकती है। इससे पहले छ: बार जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है।