Edited By vasudha,Updated: 05 Aug, 2018 05:31 AM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट से आप्रवासी भारतीयों की प्रॉक्सी वोटिंग को मंजूरी दिलवा कर 2019 के लिए खेला दांव फेल हो गया है। चुनाव आयोग के डाटा के अनुसार, पिछले साल एनआरआई वोटर्स की संख्या 24,348 थी जोकि इस साल बढ़कर 24,507 यानि मोदी सरकार...
नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कैबिनेट से आप्रवासी भारतीयों की प्रॉक्सी वोटिंग को मंजूरी दिलवा कर 2019 के लिए खेला दांव फेल हो गया है। चुनाव आयोग के डाटा के अनुसार, पिछले साल एनआरआई वोटर्स की संख्या 24,348 थी जोकि इस साल बढ़कर 24,507 यानि मोदी सरकार के इस कदम के बाद अगस्त से दिसंबर 2017 के पहले पांच महीनों में केवल 159 एनआरआई वोटर्स ही जुड़े।
दुनिया भर में भारतीय मूल के करीब 3 करोड़ लोग रहते हैं जिनमें से एक 1 करोड़ 30 लाख लोग एन.आर.आई. हैं। मोदी की इन एन.आर.आई. वोटों पर नजर है। लिहाजा आम चुनाव से 22 महीने पहले कैबिनेट ने प्रॉक्सी वोटिंग को मंजूरी देकर इन आप्रवासी भारतीयों का मन जीतने की कोशिश की है। पंजाब केसरी आपको बताने जा रहा है कि दुनिया के किस देश में कितने आप्रवासी भारतीय हैं और प्रॉक्सी वोटिंग का तरीका क्या हो सकता है?
दुनिया भर में कुल भारतीय 3,08,43,419
एन.आर.आई.-1,30,08,012
पी.आई.ओ.-1,78,35,407
दक्षिण भारत पर नजर
माना जा रहा है कि इस दाव के जरिए प्रधानमंत्री ने आप्रवासी भारतीयों को खुश करने के साथ-साथ दक्षिण में भी पार्टी का किला मजबूत करने की सियासी चाल चली है। आप्रवासी भारतीयों में सबसे ज्यादा एन.आर.आई. खाड़ी देशों में हैं। सऊदी अरब में 3 लाख 50 हजार, दुबई 28 लाख, कुवैत 9 लाख 21 हजार और ओमान में 7 लाख 95 हजार के करीब एन.आर.आई. हैं। मिडल ईस्ट में रहने वाले अधिकतर आप्रवासी भारतीय दक्षिण भारत खासतौर पर केरल से हैं। लिहाजा माना जा रहा है कि भाजपा को दक्षिण भारत में भी इसका फायदा हो सकता है।
क्या होती है प्रॉक्सी वोटिंग
इस सिस्टम के जरिए वोटिंग का अधिकार रखने वाला व्यक्ति अपने विधानसभा अथवा लोकसभा हलके से किसी ऐसे व्यक्ति को नामित करता है जो उसके स्थान पर वोट डालता है। मौजूदा समय में भारत में सुरक्षा बलों के जवान इस व्यवस्था के जरिए वोट करते हैं। यह व्यवस्था यू.के. में भी अपनाई जाती है।
किस तरह से होगी वोटिंग
आप्रवासी भारतीयों के लिए यह व्यवस्था शुरू करने के लिए 2 तरीके अपनाए जा सकते हैं। इनमें से पहला तरीका विभिन्न देशों में स्थित भारतीय दूतावास में जाकर वोट करेंगे। इसके लिए बैलेट पेपर इलैक्ट्रॉनिक तरीके से भेजे जा सकते हैं जबकि दूसरा तरीका भारत में पहले से सरकारी कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले मतदान जैसा हो सकता है। इसमें सिर्फ एक ही शर्त होगी कि जिसे वोटिंग का अधिकार दिया जा रहा है वह उसी विधानसभा अथवा लोकसभा क्षेत्र का वोटर हो।