ऑफ द रिकॉर्डः सरकार में नई कार्य संस्कृति लाने की ‘मोदी की योजना को झटका’

Edited By Pardeep,Updated: 22 Dec, 2020 05:41 AM

modi s plan to bring new work culture into government shocks

सीधे संयुक्त सचिव स्तर पर कार्यक्षेत्र विशेषज्ञ (डोमेन एक्सपर्ट) भर्ती करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी प्रयोग को झटका लगा है। पता चला है कि सरकार में नई कार्य संस्कृति (वर्क कल्चर) लाने के लिए अप्रैल 2019 में रखे गए संयुक्त सचिव...

नई दिल्लीः सीधे संयुक्त सचिव स्तर पर कार्यक्षेत्र विशेषज्ञ (डोमेन एक्सपर्ट) भर्ती करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी प्रयोग को झटका लगा है। पता चला है कि सरकार में नई कार्य संस्कृति (वर्क कल्चर) लाने के लिए अप्रैल 2019 में रखे गए संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी अरुण गोयल ने नाखुश होकर पद छोड़ दिया है। गोयल पिछले साल वाणिज्य मंत्रालय में शामिल हुए थे। अपने-अपने कार्यक्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले उन 9 लोगों में से गोयल एक हैं जिन्हें ‘बृहत् प्रशासनिक सुधार योजना’ के पहले बैच में लिया गया था।

संयुक्त सचिव स्तर पर 9 भर्तियों की सफलता के आधार पर प्रधानमंत्री 2020 में कम से कम 50 कार्यक्षेत्र विशेषज्ञों की भर्ती करना चाहते थे परंतु कोविड के कारण योजना सिरे नहीं चढ़ सकी। इस योजना पर विपक्ष ने भी अपना विरोध जताया परंतु प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह कहकर इन पाश्र्व (लेटरल) भर्तियों का बचाव किया था कि सरकार ने हर जगह से बेहतरीन लोगों को लाने के लिए यह नई योजना बनाई है।

उन्होंने बताया कि भर्ती प्रक्रिया लोक सेवा चयन आयोग ने संचालित की और संयुक्त सचिव के 10 पदों के लिए 6,000 आवेदन आए। उनमें से केवल 9 को ही चुना गया। वैसे भी पूर्ववर्ती सरकारें पाश्र्व भर्तियां करती रही हैं। डॉ. मनमोहन सिंह इस तरीके से 1972 में आकर 1976 में वित्त सचिव बने। विजय एल. केलकर 1994 में पैट्रोलियम मंत्रालय में सचिव बने, 1991 में बिमल जालान वित्त सचिव बनाए गए, 2004 में राकेश मोहन आर्थिक मामलों के सचिव नियुक्त किए गए तथा 2002 में राम विनय शाही ऊर्जा मंत्रालय में सचिव के रूप में लाए गए। 

संयुक्त सचिव के रूप में भर्ती 10 लोगों में से काकोली घोष, जो आई.आई.टी, आई.आई.एम. व ऑक्सफोर्ड से जुड़ी रही हैं और जिन्हें संयुक्त राष्ट्र (यू.एन.), के.पी.एम.जी. व बहुराष्ट्रीय वित्तीय कंपनी में भी काम करने का अनुभव है, ने पद स्वीकार नहीं किया। अब गोयल भी छोड़ गए हैं। उनके अलावा अब जो 8 लोग बचे हैं, वे हैं राजीव सक्सेना, अंबर दुबे, दिनेश दयानंद जगदले, सुजीत कुमार बाजपेयी, सौरभ मिश्रा, सुमन प्रसाद सिंह और भूषण कुमार आदि।      

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