भारत में एक से ज्यादा कोरोना वैक्सीन होगी इस्तेमाल, स्वास्थ्य मंत्री ने बताया-पहले किसको मिलेगा टीका

Edited By Seema Sharma,Updated: 12 Oct, 2020 01:12 PM

more than one corona vaccine will be used in india

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि सरकार ने भारत में covid-19 टीके के आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं किया है। मंत्री ने कहा कि ‘सार्स कोव-2'' का पता लगाने के लिए ‘फेलूदा पेपर स्ट्रिप'' जांच अगले कुछ...

नेशनल डेस्कः केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि सरकार ने भारत में covid-19 टीके के आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं किया है। मंत्री ने कहा कि ‘सार्स कोव-2' का पता लगाने के लिए ‘फेलूदा पेपर स्ट्रिप' जांच अगले कुछ हफ्ते में शुरू की जा सकती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोरोना से लोगों को बचाने यानी हर किसी का टीकाकरण के लिए एक से ज्यादा वैक्सीन निर्माता के साथ गठजोड़ करना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि सबसे कमजोर वर्ग को सबसे पहले यह टीका मिले। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि भारत की जनसंख्या को देखते हुए सिर्फ एक टीका या वैक्सीन निर्माता पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। इसलिए एक से ज्यादा वैक्सीन निर्माताओं से गठजोड़ जरूरी है।

 

मंत्री ने पहले कहा था कि कोरोना टीका 2021 की प्रथम तिमाही में उपलब्ध हो सकता है। आर्थिक कारणों से युवा और कामकाजी लोगों को covid-19 का टीका लगाने को प्राथमिकता देने के कयासों से इनकार करते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि covid-19 टीका लगाने के लिए समूहों की प्राथमिकता दो मुख्य बातों पर निर्भर करेगी- पेशेवर खतरा और संक्रमण का जोखिम, गंभीर बीमारी होने का खतरा तथा बढ़ती मृत्यु दर। इस मुद्दे पर कि सरकार किस तरह से कोरोना के टीके को लाने की योजना बना रही है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह विचार है कि शुरुआत में टीके की आपूर्ति सीमित मात्रा में उपलब्ध होगी।

 

मंत्री ने कहा कि भारत जैसे बड़े देश में टीके की आपूर्ति को प्राथमिकता देना कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे संक्रमण का खतरा, विभिन्न जनसंख्या समूह के बीच अन्य रोगों का प्रसार, covid-19 मामलों के बीच मृत्यु दर और कई अन्य। उन्होंने कहा कि भारत विभिन्न प्रकार के टीकों की उपलब्धता पर गौर कर रहा है जिनमें से कुछ विशिष्ट उम्र वर्ग के लिए उपयुक्त हो सकते हैं जबकि अन्य उस आयु वर्ग के लिए उपयुक्त नहीं हो सकते हैं। ‘फेलूदा' जांच पर उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी और निजी प्रयोगशालाओं में दो हजार से अधिक रोगियों पर जांच के दौरान जांच में 96 फीसदी संवेदनशीलता और 98 फीसदी विशिष्टता दिखी।

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