सांसदों/विधायकों को वकालत करने से नहीं रोका जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

Edited By Seema Sharma,Updated: 25 Sep, 2018 03:59 PM

mps  mlas can not be stopped from advocating supreme court

सुप्रीम कोर्ट ने आज सांसदों/विधायकों के वकालत करने पर कहा कि उन्हें ऐसा करने से नहीं रोका जा सकता हैं। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने भाजपा नेता एवं पेशे से वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय...

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज सांसदों/विधायकों के वकालत करने पर कहा कि उन्हें ऐसा करने से नहीं रोका जा सकता हैं। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने भाजपा नेता एवं पेशे से वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की संबंधित याचिका खारिज करते हुए कहा कि सांसदों/विधायकों को वकालत का पेशा अपनाने से नहीं रोक सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) की नियमावली का नियम-49 सिर्फ वेतनभोगी फुलटाइम कर्मचारी पर लागू होता है। और इस दायरे में सांसद एवं विधायक नहीं आते हैं।

उल्लेखनीय है कि भाजपा नेता उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा था कि बीसीआई नियमावली के खंड-6 की भावना के अनुरूप माननीयों को सांसद और विधायक रहने की अवधि के दौरान वकालत पेशा से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि सांसदों और विधायकों को भी हर महीने सैलरी मिलती है और वे नियम-49 में आते हैं इसलिए उन्हें प्रैक्टिस करने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। इस संदर्भ में बीसीआई ने भी सांसदों और विधायकों को नोटिस जारी किए थे। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए एटर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने इस याचिका का विरोध किया था और अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सांसद/विधायक निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं इसलिए उनको सरकार का फुलटाइम कर्मचारी नहीं कहा जा सकता।

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