मुखर्जी विद्वान, उच्च कोटि के राजनीतिज्ञ थे, उनका मार्गदर्शन कभी भूल नहीं पाऊंगा: मोदी

Edited By Yaspal,Updated: 31 Aug, 2020 08:13 PM

mukherjee was a scholar a high profile politician

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए उन्हें सर्वोत्कृष्ट विद्वान और उच्च कोटि का राजनीतिज्ञ बताया और कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में पहले दिन से उन्हें उनका मार्गदर्शन, समर्थन और...

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए उन्हें सर्वोत्कृष्ट विद्वान और उच्च कोटि का राजनीतिज्ञ बताया और कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में पहले दिन से उन्हें उनका मार्गदर्शन, समर्थन और आशीर्वाद मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मुखर्जी का आज यहां एक सैन्य अस्पताल में निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे।

मोदी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, ‘‘उनके परिवार, मित्रों और देश भर में उनके प्रशंसकों व समर्थकों के प्रति मेरी संवेदानाएं है। ओम शांति।'' मोदी ने कहा कि साल 2014 में जब वह प्रधानमंत्री बने तो दिल्ली के लिए बिल्कुल नए थे। उन्होंने कहा, ‘‘पहले दिन से मुझे मुखर्जी का मार्गदर्शन, समर्थन और आशीर्वाद मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनके साथ अपनी यादों को मैं हमेशा संजो कर रखूंगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘प्रमुख नीतिगत मुद्दों पर उनका ज्ञानपूर्ण परामर्श मैं कभी भी नहीं भूल पाऊंगा।''


प्रधानमंत्री ने मुखर्जी के साथ अपनी कुछ तस्वीरें भी साझा कीं। इनमें से एक तस्वीर में वे मुखर्जी के पैर छूकर प्रणाम करते दिख रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निधन पर भारत आज दुखी है। देश के विकास में वह अमिट छाप छोड़ गए हैं। वे एक सर्वोत्कृष्ट विद्वान और उच्च कोटि के राजनीतिज्ञ थे जिनकी प्रशंसा सभी राजनीतिक दल और समाज के सभी वर्गों में होती है।'' उन्होंने कहा कि अपने दशकों लंबे राजनीतिक करियर के दौरान प्रणब मुखर्जी ने आर्थिक और रणनीतिक जैसे प्रमुख मंत्रालयों में दीर्घकालिक योगदान दिए।

 


प्रधानमंत्री ने उन्हें एक ‘‘उत्कृष्ट'' सांसद बताया जो हमेशा पूरी तैयारी में रहते थे, गजब के वक्ता थे और साथ ही हाजिर जवाब भी। उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने राष्ट्रपति भवन तक आम आदमी की पहुंच सरल बना दी। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति भवन को उन्होंने ज्ञान, नवाचार, संस्कृति, विज्ञान और साहित्य का केंद्र बनाया।''

 

 

पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी को दिल्ली छावनी स्थित अस्पताल में गत 10 अगस्त को भर्ती कराया गया था और उसी दिन उनके मस्तिष्क में जमे खून के थक्के को हटाने के लिए उनकी सर्जरी की गई थी। मुखर्जी को बाद में फेफड़ों में संक्रमण हो गया। वह 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति थे।

 

 

 

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