Edited By Tanuja,Updated: 12 Oct, 2025 05:31 PM

मदीना से एक मुस्लिम युवक सुफियान इलाहाबादी ने भारत के प्रसिद्ध संत स्वामी प्रेमानंद महाराज के स्वस्थ होने की दुआ मांगी। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। महाराज लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे, लेकिन अब उनके स्वास्थ्य में...
International Desk: भारत के प्रसिद्ध संत स्वामी प्रेमानंद महाराज इन दिनों अस्वस्थ चल रहे हैं। उनकी तबीयत लंबे समय से नाजुक बनी हुई है और भक्तजन लगातार उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे हैं। लेकिन इस बार यह प्रार्थना भारत की सीमाओं से निकलकर मक्का-मदीना तक पहुंच गई है।सऊदी अरब के मदीना से एक मुस्लिम युवक सुफियान इलाहाबादी का वीडियो सामने आया है, जो अब इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में सुफियान मदीना की पवित्र भूमि से उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध व पावन धार्मिक स्थल वृंदावन में बसे स्वामी प्रेमानंद महाराज की सलामती और दीर्घायु के लिए दुआ मांगते नजर आ रहे हैं।
यह वीडियो लगभग 1 मिनट 20 सेकंड का है, जिसमें सुफियान हाथ उठाकर अल्लाह से प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि “हे अल्लाह, भारत के महान संत प्रेमानंद महाराज को जल्द से जल्द सेहतमंद कर दे, ताकि वे अपने भक्तों का मार्गदर्शन करते रहें।” वीडियो में पीछे मदीना का दृश्य स्पष्ट दिखाई देता है, जिससे यह पुष्टि होती है कि यह दुआ इस्लाम की सबसे पवित्र स्थली से की गई है। सोशल मीडिया पर इस वीडियो को अब तक लाखों बार देखा जा चुका है और लोग इसे “धर्म से ऊपर इंसानियत” का प्रतीक बता रहे हैं।

गौरतलब है कि प्रेमानंद महाराज पिछले किडनी संबंधी बीमारी से जूझ रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी दोनों किडनियां सही तरीके से काम नहीं कर रहीं जिसके चलते उन्हें नियमित डायलिसिस पर रखा गया है।हालांकि, हाल ही में उनके आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट @bhajanmarg_official पर साझा किए गए एक वीडियो में वे मुस्कुराते और हंसते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि उनकी तबीयत में अब सुधार हो रहा है।उनके अनुयायियों का कहना है कि यह आस्था और सामूहिक प्रार्थना की शक्ति का परिणाम है।

स्वामी प्रेमानंद महाराज ऐसे संत हैं जिन्हें केवल हिंदू ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी सम्मान देते हैं।उनके भजन, प्रवचन और जीवन दर्शन ने भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि आस्था की कोई जात या मजहब नहीं होती, और जब बात मानवता की आती है तो दिल जोड़ने वाली दुआएं हर दीवार को तोड़ देती हैं।