महाराष्ट्र में मुस्लिमों ने उठाई आरक्षण की मांग, उद्धव सरकार की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

Edited By Yaspal,Updated: 08 Feb, 2020 06:46 PM

muslims demand reservation in maharashtra uddhav may increase difficulties

महाराष्ट्र की राजनीति में बिल्कुल अलग ध्रुवों की सरकार के मुखिया के तौर पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी होने जा रही है। ये मुश्किल है मुसलमानों के लिए आरक्षण की मांग। महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता असलम शेख ने दावा किया है कि...

नेशनल डेस्कः महाराष्ट्र की राजनीति में बिल्कुल अलग ध्रुवों की सरकार के मुखिया के तौर पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी होने जा रही है। ये मुश्किल है मुसलमानों के लिए आरक्षण की मांग। महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता असलम शेख ने दावा किया है कि ‘महाविकास अघाड़ी’ सरकार जल्द ही मुस्लिमों के लिए आरक्षण का प्रावधान कर सकती है। शेख ने कहा है कि ये सत्ताधारी गठबंधन के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में पहले से शामि है।

अब समस्या ये है कि धर्म आधारित आरक्षण की व्यवस्था करने पर राज्य सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। वैसे भी अभी सीएए और एनआरसी का मामला देश में बेहद गर्म है। इसके अलावा कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विनायक दामोदर सावरकर की आलोचना भी की थी। ऐसे में सरकार मुस्लिम आरक्षण के वादे को लेकर कई स्तर पर घिर गई है। गौरतलब है कि शिवसेना आर्थिक आधार पर आरक्षण की पक्षधर है। पार्टी ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट का विरोध किया था।

साल 2014 के लोकसभा नतीजे बीजेपी-शिवसेना के पक्ष में जाने के बाद तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने मराठा (16 प्रतिशत) और मुस्लिम (5 प्रतिशत) आरक्षण अप्रूव कर दिया था। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस व्यवस्था पर रोक दी थी। बाद में देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने मराठा आरक्षण के लिए कानून बना दिया लेकिन मुस्लिमों को अनदेखा कर दिया. उस सरकार का हिस्सा शिवसेना भी थी। मराठा आरक्षण का मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट में है।

एक वरिष्ठ शिवसेना नेता का मानना है कि कांग्रेस नेताओं की मुस्लिम आरक्षण के लिए मांग शिवसेना को नुकसान पहुंचा सकती है। शिवसेना का जनाधार मुख्य रूप सें मुंबई और उसके आस-पास के जिलों में माना जाता है। ऐसे में अगर पार्टी मुस्लिम आरक्षण बिल पास करती है तो उसे अपनी राजनीतिक राजधानी बदलनी पड़ेगी। क्योंकि इसी मुंबई में 1992-93 के दौरान हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान शिवसेना के कार्यकर्ताओं पर मुस्लिमों के साथ भिड़त का आरोप भी लगता है। केंद्र में सत्तारूढ़ और लंबे समय तक राज्य में शिवसेना की पार्टनर रही बीजेपी भी सरकार की कोई आलोचना करने से नहीं चूकेगी।

वैसे देखा जाए तो अब आरक्षण का मुद्दा फैलता जा रहा है। हिंदू जाति धनगर भी आरक्षण की मांग कर रही है। यहां तक कि कुछ जगह ब्राह्मणों की तरफ से आरक्ष की मांग की गई है। वर्तमान में महाराष्ट्र में आरक्षण का प्रतिशत 78 है। इस मामले में को लेकर सरकार में शिवसेना के एक मंत्री की राय है कि मुस्लिम आरक्षण को लेकर पार्टी को दिक्कत हो सकती है। उनके मुताबिक कांग्रेस में कुछ ऐसे नेता हैं जो चुनाव से पहले बीजेपी में जाना चाहते थे। लेकिन किसी कारणवश ऐसा नहीं कर सके। अब शिवसेना को किनारे करने के लिए ये मांग उठा सकते हैं।

गौरतलब है कि राजिंदर सच्चर कमेटी ने मुस्लिम समुदाय में पिछड़ेपन को लेकर कई बिंदु उठाए थे। इसी के मद्देनजर 2013 में कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने पूर्व आईएएस महमुद-उर-रहमान की अगुवाई में कमेटी बनाकर मुस्लिमों की स्थिति की समीक्षा करवाई थी। तब कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने तो मुस्लिम आरक्षण का रास्ता साफ कर दिया था। लेकिन बाद में मामला कोर्ट के पेच में फंस गया। अब उद्धव सरकार के सामने चुनौती है कि वो अपनी हिंदूवादी छवि और मुस्लिम आरक्षण के बीच कैसे सामंजस्य बिठाएंगे।

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