Edited By Anil dev,Updated: 10 Nov, 2020 03:34 PM
बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर शुरुआती रुझानों में एनडीए 125 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है जिसके भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वह 70 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की कमान संभालने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के...
नेशनल डेस्क: बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर शुरुआती रुझानों में एनडीए 125 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है जिसके भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वह 70 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की कमान संभालने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा यानी जेपी के लिए पहला बड़ा टेस्ट बिहार में ही देखा जा रहा है। इस टेस्ट में अभी तक के रुझानों में वह लगभग- लगभग पास होते ही दिखाई दे रहे हैं। राजनीति के जनक कहे जाने वाले चाणक्य की यह वही धरती है जहां बीजेपी के सबसे बड़े चुनाव प्लानर कहे जाने वाले अमित शाह को भी चुनौती का सामना करना पड़ा था। हालांकि, बिहार में 2020 में, 2015 से अलग परिस्थितियां हैं। थोड़ी बहुत भी बिहार की राजनीति को समझने वाले जानते हैं कि नड्डा को अमित शाह जैसी चुनौती सामना नहीं करना होगा।
अमित शाह जैसी चुनौती का नड्डा को नहीं करना पड़ेगा सामना
बिहार में विपक्ष के तितर-बितर होने के साथ ही इस परीक्षा में नड्डा को बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह जैसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस बार बिहार में विपक्ष जहां तितर-बितर है, वहीं एनडीए खेमा पूरी तरह से एकजुट और मुश्तैद दिख रहा है। 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का मुकाबला लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की जोड़ी से था, लेकिन इस बार इन दोनों में कोई भी सामने नहीं होगा। लालू यादव जहां जेल में सजा काट रहे हैं, वहीं सुशासन की छवि वाले नीतीश कुमार खुद बीजेपी के साथ हैं।
बिहार से है जेपी नड्डा का गहरा रिश्ता
वहीं बहुत कम लोग जानतें हैं कि बिहार जेपी नड्डा की जन्मभूमि रहा है। पटना उनकी जन्मभूमि और कर्मभूमि भी है। उनकी सियासी यात्रा की शुरुआत चाणक्य की धरती पाटलिपुत्र से ही हुई। यही वजह है कि बिहार छोडड़े के बाद भी नड्डा का इस भूमि से गहरा लगाव है। अस्सी के दशक में पटना कॉलेज में पढ़ाई करते हुए नड्डा पहली बार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर आकर्षित हुए थे। तब उन्होंने यह सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन उनके हाथ में दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की कमान होगी। बिहार से खास नाता होने के नाते इस वजह से नड्डा को बिहार के लोगों का मूड समझने में मुश्किल होने की कम ही गुंजाइश दिखती है। हालांकि चुनाव के बारे में केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है, आखिरी परिणाम जनता के हाथों में होता है।
बिहार चुनाव से अमित शाह ने क्यों बनाई दूरी?
भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की बात करें तो उन्होंने 22 चुनावी रैलियों को संबोधित किया। रोड शो के अलावा कार्यकताओं और बुद्धिजीवियों के साथ बैठक की हैं। वहीं बिहार चुनाव के तीनों चरणों के प्रचार को देखें तो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी। बिहार चुनाव में अमित शाह ने टिकट बंटवारे से लेकर हर बड़े फैसलों में मौजूदगी दिखाई, लेकिन, चुनाव प्रचार में उनकी गैर-मौजूदगी देखी गई। बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार से शाह किनारा करने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। इसमें सबसे अहम कारण स्वास्थ्य संबंधित बताया जा रहा है, लेकिन सवाल यह उठ रहे हैं कि बिहार में चुनाव प्रचार थमने से महज के दिन पहले शाह दो दिवसीय दौरे पर बंगाल क्यों पहुंच गए। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने के अनुसार शाह बिहार नहीं आने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। हालांकि स्पष्ट तौर पर प्रतिक्रिया देने से पार्टी के प्रवक्ता और वरिष्ठ नेताओं ने इन्कार कर दिया।