वैज्ञानिकों ने किया खुलासा, अगले कोरोना वायरस को जन्म दे सकते हैं चूहे और बंदर

Edited By Anil dev,Updated: 23 Nov, 2021 11:19 AM

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अमरीका के न्यू जर्सी स्थित प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और ब्राजील की फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ अमेजोन्स के अध्ययनों में चेतावनी दी गई है कि मूषकों (चूहों) और बंदर प्रजाति के जीवों से अगला कोरोना वायरस फैल सकता है।

नेशनल डैस्क: अमरीका के न्यू जर्सी स्थित प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और ब्राजील की फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ अमेजोन्स के अध्ययनों में चेतावनी दी गई है कि मूषकों (चूहों) और बंदर प्रजाति के जीवों से अगला कोरोना वायरस फैल सकता है। न्यू जर्सी के प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं में आणविक जीवविज्ञानी सीन किंग और कंप्यूटर वैज्ञानिक मोना सिंह ने विभिन्न स्तनपायी प्रजातियों का जीनोमिक विश्लेषण किया। विशेष रूप से उन जीवों पर अध्ययन किया गया जो सार्स जैसे वायरस को आसानी से ग्रहण कर लेते हैं। उन्होंने पाया कि अतीत में कुछ चूहों की प्रजातियां बार-बार सार्स जैसे वायरस के संपर्क में आईं, जिससे उनमें वायरस प्रतिरोध का एक निश्चित स्तर विकसित होने की संभावना पैदा हुई।

चूहों में संक्रमण के साथ विकसित हुई प्रतिरोधक क्षमता
दोनों ने अपने शोध पत्र में लिखा कि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि मूषकों को वंशानुगत तौर पर सार्स जैसे कोरोना वायरस के साथ बार-बार संक्रमित होते देखा गया है। उन्होंने कहा, संभवतः इन संक्रमणों के परिणामस्वरूप उनमें सार्स जैसे कोरोना वायरस के प्रति सहिष्णुता या प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है। अपने अध्ययन में डॉ. किंग और प्रोफेसर सिंह ने तथाकथित एसीई2 रिसेप्टर्स (ग्रहण करने योग्य) का अध्ययन किया, जिनके सहयोग से सार्स जैसे वायरस स्तनधारियों की कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं। टीम ने पाया कि मनुष्य जैसे जीव और अन्य स्तनधारियों में, जिन्हें पहले से सार्स के संक्रमित होने वाले जीव के रूप में नहीं जाना जाता है, एसीई 2 रिसेप्टर्स होने के बहुत कम सबूत हैं। दोनों के जीनोमिक विश्लेषण में हालांकि मूषकों के बीच एसीई 2 का तेजी से विकास देखा गया। इससे पता चलता है कि इन मूषक प्रजातियों को उनके विकास के दौरान बार-बार सार्स जैसे कोरोना वायरस के संपर्क में आने की संभावना हैं और इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने इस प्रकार के संक्रमणों से प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित हो गई है।

ब्राजील के जंगलों में बैक्टीरिया और वायरस  घातक
उधर, ब्राजील के मानौस स्थित फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ अमेजोन्स के शोधकर्ताओं ने आशंका जताई है कि इस बार महामारी ब्राजील के अमेजन जंगलों में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस से फैल सकती है। इसके वाहक चूहे और बंदर हो सकते हैं। यूनिवर्सिटी की जीवविज्ञानी मार्सेलो गोर्डो और उनकी टीम को हाल ही में कूलर में तीन पाइड टैमेरिन बंदरो की सड़ी हुई लाश मिली। किसी ने इस कूलर की बिजली सप्लाई बंद कर दी थी। इसके बाद बंदरों के शव अंदर ही सड़ गए. मार्सेलो और उनकी टीम ने बंदरों से सैंपल लिए। यहां पर उनकी मदद करने के लिए दूसरी जीवविज्ञानी अलेसांड्रा नावा सामने आईं। उन्होंने बंदरों के सैंपल से पैरासिटिक वॉर्म्स, वायरस और अन्य संक्रामक एजेंट्स की खोज की। अलेसांड्रा ने बताया कि जिस तरह से इंसान जंगलों का अतिक्रमण कर रहे हैं, ऐसे में वहां रहने वाले जीवों में मौजूद वायरस, बैक्टीरिया और पैथोजेन्स इंसानों में संक्रमण फैला रहे हैं।

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