Edited By Anil dev,Updated: 26 Feb, 2022 04:07 PM
अयोध्या में भाजपा जहां जातिगत समीकरणों को साधने में लगी है वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी मैदान में कमान संभाल ली है। अयोध्या में पांच विधानसभा सीटें हैं। जिनमें अयोध्या, बिकापुर, सोहवाल, मिल्कीपुर और गोसाईगंज शामिल हैं।
नेशनल डेस्क: अयोध्या में भाजपा जहां जातिगत समीकरणों को साधने में लगी है वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी मैदान में कमान संभाल ली है। अयोध्या में पांच विधानसभा सीटें हैं। जिनमें अयोध्या, बिकापुर, सोहवाल, मिल्कीपुर और गोसाईगंज शामिल हैं। यहां बात सिर्फ जीतने या हारने की नहीं बल्कि ये भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का मामला भी है। अयोध्या आरएसएस के हिंदुत्व प्रोजेक्ट का केंद्र रहा है। ऐसे में राम मंदिर निर्माण की अपील करने के साथ-साथ आरएसएस के कार्यकर्ता लोगों को योगी आदित्यनाथ सरकार के कामों का लेखा-जोखा दे रहे हैं, साथ ही राम लला का प्रसाद और रजकण (मिट्टी) भी दे रहे हैं।
आरएसएस की रोजाना करीब 10 बैठकें
पिछले 15 दिनों में आरएसएस के शीर्ष नेताओं ने अयोध्या में बैठकें की हैं। इन नेताओं में सह सरकार्यवाह और भाजपा प्रभारी अरुण कुमार भी शामिल हैं। लखनऊ के रहने वाले प्रांत प्रचारक कौशल किशोर भी पिछले हफ्ते से वहां प्रचार कर रहे हैं और 27 फरवरी के मतदान तक वहां रहेंगे। आरएसएस सूत्रों के मुताबिक संघ के करीब 100 कार्यकर्ता रोज पांच से 10 बैठकें कर रहे हैं। इन बैठकों में वो बीजेपी सरकार की उपलब्धियों की बात करते हैं और राम के नाम पर वोट देने का अनुरोध करते हैं। इसके अलावा भाजपा का अपना संगठन भी प्रचार में जुटा हुआ है।
2017 भाजपा ने जीती में पांचों सीटें
2017 के विधानसभा चुनाव में आयोध्या की पांचों सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। इस बार कोशिश है कि आरएसएस की मदद से ना सिर्फ कुछ लोगों की असंतुष्टि को कम किया जा सके बल्कि जातिगत समीकरणों को भी साधा जा सके। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा को बनिया, ठाकुर और ब्राह्मण वोट मिलने की संभावना है, वहीं पार्टी को सरकार की योजनाओं के आधार पर दलितों से भी समर्थन की उम्मीद है। लेकिन समाजवादी पार्टी के पवन पांडे फिलहाल बीजेपी भाजपा के लिए चुनौती बने हुए हैं जो ब्राह्मण हैं और इलाके में काफी पसंद किए जाते हैं।