तवांग बौद्धमठ के प्रमुख ने कहा- चीन को अगला दलाई लामा चुनने का कोई हक नहीं

Edited By Anil dev,Updated: 26 Oct, 2021 02:25 PM

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अरुणाचल प्रदेश के तवांग बौद्धमठ के प्रमुख ने कहा है कि चीन को अगले दलाई लामा को चुनने में शामिल होने का कोई अधिकार नहीं है, खासकर इसलिए कि वह धर्म में विश्वास ही नहीं करता तथा उत्तराधिकारी का चयन करना तिब्बती लोगों का पूर्ण रूप से आध्यात्मिक मामला...

नेशनल डेस्क: अरुणाचल प्रदेश के तवांग बौद्धमठ के प्रमुख ने कहा है कि चीन को अगले दलाई लामा को चुनने में शामिल होने का कोई अधिकार नहीं है, खासकर इसलिए कि वह धर्म में विश्वास ही नहीं करता तथा उत्तराधिकारी का चयन करना तिब्बती लोगों का पूर्ण रूप से आध्यात्मिक मामला है।

चीन की सीमा से सटे करीब 350 साल पुराने बौद्धमठ के प्रमुख ग्यांगबुंग रिनपोचे ने यह भी कहा कि चीन की विस्तारवादी नीति का विरोध करना जरूरी है तथा भारत को इस पड़ोसी देश से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। एलएसी पर चीन के आक्रामक रवैये की ओर इशारा करते हुए रिनपोचे ने साक्षात्कार के दौरान कहा कि भारत शांति एवं समृद्धि में विश्वास करता है, लेकिन इस तरह के आक्रामक रुख से निपटने के लिए उसे जमीनी हालात के आधार पर अपना दृष्टिकोण तय करना चाहिए। दुनिया में तिब्बत के ल्हासा के पोताला महल के बाद दूसरे सबसे बड़े बौद्धमठ के प्रमुख ने कहा कि केवल वर्तमान दलाई लामा एवं तिब्बती लोगों को ही तिब्बती आध्यात्मिक नेता के उत्तराधिकारी के बारे में फैसला करने का अधिकार है तथा चीन की इसमें कोई भूमिका नहीं है। 

उन्होंने कहा कि तवांग और लद्दाख जैसे क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ चीन की सरकार धर्म में विश्वास ही नहीं करती है। जो सरकार किसी धर्म में विश्वास नहीं करती है , वह कैसे अगला दलाई लामा तय कर सकती है। उत्तराधिकार योजना धर्म और आस्था का मामला है, यह थोड़े ही कोई राजनीतिक मामला है। '' रिनपोचे ने कहा, ‘‘चीन को अगले दलाई लामा को चुनने की प्रक्रिया में शामिल होने का कोई हक नहीं है। केवल वर्तमान दलाई लामा और उनके अनुयायियों को ही इस मुद्दे पर फैसला करने का अधिकार है।'' तवांग बौद्धमठ के प्रमुख का बयान पूर्वी लद्दाख सीमा पर भारत एवं चीन के बीच गतिरोध के बीच आया है। यह बौद्धमठ जिस क्षेत्र में है उसपर चीन अपना दावा करता है । हालांकि, भारत का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न एवं अविभाज्य अंग है। 

रिनपोचे ने कहा कि तिब्बती लोग इस मुद्दे पर चीन के किसी भी फैसले को कभी स्वीकार नहीं करेंगे और इसमें शामिल होने का उसका प्रयास तिब्बती धरोहर पर ‘कब्जा करने' तथा तिब्बती लोगों पर ‘नियंत्रण रखने' की कोशिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘‘ तिब्बत के लोगों का दिल जीतना चीन के लिए मुश्किल है। चीन सख्ती से तिब्बत को नियंत्रित कर रहा है। प्रशासन बाहर के लोगों को तिब्बतियों से मिलने भी नहीं दे रहा है। वहां कई पाबंदियां है। ऐसे में जरूरी है कि भारत जैसे देश तिब्बितयों का साथ दें।'' चौदहवें दलाई लामा के जुलाई में 86 वर्ष के होने के बाद से उनके उत्तराधिकारी के मुद्दे ने ध्यान आकर्षित किया है, जोकि वर्ष 1959 से भारत के धर्मशाला में निर्वासन में रह रहे हैं। माना जाता है कि दलाई लामा बुद्ध का जीवित रूप हैं, जोकि उनकी मृत्यु के बाद पुनर्जन्म लेते हैं। चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि अगले दलाई लामा का चयन चीनी क्षेत्र में ही किया जाना चाहिए और उसे इस बारे में बोलने का अधिकार है। 

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