अवमानना केस में SC ने कहा, अदालतों की आलोचना बढ़ती जा रही है, अब हर कोई ऐसा कर रहा है

Edited By Anil dev,Updated: 30 Jan, 2021 01:54 PM

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उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यदि सरकार को लगता है कि उन्होंने कोई सीमा पार की है और यदि वह उनके इंटरनेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद करना चाहती है, तो वह भी अपने कश्मीरी मित्रों की तरह हर साल 15 अगस्त पर स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं के पोस्ट कार्ड...

नेशनल डेस्क: हास्य कलाकार कुणाल कामरा ने न्यायपालिका के खिलाफ अपने कथित विवादास्पद ट्वीट का शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में बचाव करते हुए कहा कि यदि सरकार को लगता है कि उन्होंने कोई सीमा पार की है और यदि वह उनके इंटरनेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद करना चाहती है, तो वह भी अपने कश्मीरी मित्रों की तरह हर साल 15 अगस्त पर स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं के पोस्ट कार्ड लिखेंगे। कामरा ने कहा कि किसी हास्य प्रस्तुति के लिए व्यंग्य एवं अतिशयोक्ति अहम उपकरण होते हैं और हास्य कलाकार अपने अनूठे अंदाज में जनहित के मामलों से जुड़े सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा कि यदि शक्तिशाली लोग और संस्थाएं आलोचना को सहने की अक्षमता दिखाते रहेंगे, तो हम एक ऐसे देश में बदल जाएंगे, जहां कलाकारों को बाधित किया जाता रहेगा और दूसरों की कठपुतली बने लोगों को बढ़ावा मिलेगा।

कॉमेडियन ने जवाबी हलफनामे में अपने ट्वीट का बचाव किया जब शुक्रवार को ही उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अदालतों की आलोचना बढ़ती जा रही है और अब हर कोई ऐसा कर रहा है। कामरा ने कहा, मैं कई मामलों में कई अदालतों के कई फैसलों से असहमत हो सकता हूं, लेकिन मैं इस पीठ से वादा करता हूं कि मैं हर फैसले का मुस्कुराते हुए स्वागत करूंगा। मैं इस मामले में उच्चतम न्यायालय या इस पीठ की निंदा नहीं करूंगा, क्योंकि यह न्यायालय की अवमानना होगी। उन्होंने कहा, यदि इस न्यायालय को लगता है कि मैंने कोई सीमा पार की है और यदि वह मेरा इंटरनेट अनिश्चितकाल के लिए बंद करना चाहता है, तो मैं भी अपने कश्मीरी मित्रों की तरह हर 15 अगस्त पर स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं के पोस्ट कार्ड लिखूंगा। हास्य कलाकार ने कहा कि उनका मानना है कि इस देश में असहिष्णुता की संस्कृति बढ़ रही है, जहां किसी बात पर नाराज होना मौलिक अधिकार समझा जाता है और इसे पसंदीदा इनडोर राष्ट्रीय खेल के दर्जे तक बुलंद कर दिया गया है। 

उन्होंने कहा, हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला के साक्षी हैं। मुनव्वर फारूकी जैसे हास्य कलाकारों को उन चुटकुलों के लिए जेल भेजा जा रहा है, जो उन्होंने नहीं सुनाए और स्कूली छात्रों से राजद्रोह के मामले में पूछताछ की जा रही है। ऐसे समय में, मैं उम्मीद करता हूं कि यह न्यायालय दर्शाएगा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मूलभूत संवैधानिक मूल्य है और इस बात को मान्यता देगा कि इस अधिकार का इस्तेमाल करते हुए अपमानित होने की आशंका अनिवार्य है। कामरा ने कहा, मैं जिस भाषा या शैली का इस्तेमाल करता हूं, उसका मकसद किसी का अपमान करना नहीं होता, बल्कि उन मामलों पर ध्यान खींचना और संवाद शुरू करना होता है, जो मुझे लोकतंत्र के लिए प्रासंगिक लगते हैं और जिन्हें गंभीर एवं प्रबुद्ध टीकाकारों ने सार्वजनिक क्षेत्र में नहीं उठाया होता है।'' उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि न्यायिक पदों समेत संवैधानिक पदों के बारे में चुटकुला बनाए जाने से सुरक्षा नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि वह नहीं मानते कि न्यायाधीश समेत कोई भी उच्चाधिकारी केवल इसलिए काम करने में खुद को असमर्थ पाएगा क्योंकि उस पर व्यंग्य किए जा रहे हैं या उसे लेकर चुटकुले सुनाए जा रहे हैं। 

कामरा ने अपने ट्वीट का बचाव करते हुए कहा कि ये ट्वीट हमारे लोकतंत्र की शीर्ष अदालत में लोगों का विश्वास कम करने के इरादे से प्रकाशित नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि केवल उनके ट्वीट से दुनिया के सबसे शक्तिशाली न्यायालय का आधार हिल सकता है, ऐसा मानना उनकी क्षमता को बढ़ा-चढ़ा कर समझना है। कामरा ने कहा कि चुटकुले कॉमेडियन की सोच पर आधारित होते हैं और इस सोच के आधार पर वे दर्शकों का मनोरंजन करते हैं। न्यायालय ने शीर्ष अदालत के खिलाफ कथित अपमानजनक ट्वीट करने के मामले में कामरा को 18 दिसंबर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और उन्हें निजी पेशी से छूट दी थी। अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कामरा के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति दी थी और कहा था कि कॉमेडियन के ट्वीट सही नहीं थे और लोगों को समझना चाहिए कि उच्चतम न्यायालय पर हमला करने वालों को दंडित किया जाएगा। किसी व्यक्ति के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अदालत की अवमानना कानून की धारा 15 के तहत अटॉर्नी जनरल या सॉलीसीटर जनरल की सहमति जरूरी होती है। उच्चतम न्यायालय की आपराधिक अवमानना में दो हजार रुपये तक का जुर्माना और छह महीने तक की कैद हो सकती है। 

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