खत्म होगा बिजली वितरण लाइसेंस, मौजूदा संसद सत्र में पेश होगा विधेयक

Edited By Anil dev,Updated: 05 Feb, 2021 05:08 PM

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केंद्र सरकार ने बिजली वितरण लाइसेंस खत्म करने की तैयारी कर ली है। बिजली अधिनियम, 2003 में संशोधन की सरकार की योजना है, जिसके तहत नियामक की मंजूरी के बाद कोई भी कंपनी किसी भी क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति कर सकेगी।

नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार ने बिजली वितरण लाइसेंस खत्म करने की तैयारी कर ली है। बिजली अधिनियम, 2003 में संशोधन की सरकार की योजना है, जिसके तहत नियामक की मंजूरी के बाद कोई भी कंपनी किसी भी क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति कर सकेगी। इस कदम का मकसद मौजूदा बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) का एकाधिकार खत्म करना है, जिनमें से ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र की हैं। नई व्यवस्था के तहत निजी क्षेत्र के डिस्कॉम को सभी इलाकों में वितरण की इजाजत होगी।

2021 में शामिल किए जाएंगे प्रस्तावित संशोधन विद्युत विधेयक
प्रस्तावित संशोधन विद्युत विधेयक, 2021 में शामिल किए जाएंगे, जो संसद के चालू सत्र में ही पेश किया जाएगा। विधेयक के मसौदे में नई धारा 24 (ए) जोड़ी गई है, जो कहती है, निर्धारित पात्रता शर्तें पूरी करने वाली और उचित आयोग के पास पंजीकृत कोई भी कंपनी अपने क्षेत्र में खुद की वितरण व्यवस्था या दूसरी वितरण कंपनी की वितरण व्यवस्था का इस्तेमाल कर उपभोक्ताओं को बिजली दे सकती है बशर्ते अधिनियम के प्रावधानों का पालन हो रहा हो। बिजऩेस स्टैंडर्ड ने विधेयक का मसौदा देखा है। उसमें वितरण लाइसेंस शब्द हटाकर उसकी जगह वितरण कंपनी लिखा गया है। इसमें दो या उससे अधिक डिस्कॉम को एक ही इलाके में पंजीकरण और बिजली वितरण की अनुमति देने का प्रस्ताव भी है। किसी एक क्षेत्र में मौजूदा बिजली खरीद करार को सभी डिस्कॉम साझा करेंगी और वे अलग से बिजली खरीदने का करार भी कर सकेंगी।

सीतारमण ने सोमवार को बजट भाषण में की इसकी घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को बजट भाषण में इसकी घोषणा करते हुए डिस्कॉम के एकाधिकार का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, प्रतिस्पद्र्घा को बढ़ावा देकर उपभोक्ताओं को विकल्प उपलब्ध कराने की जरूरत है। उपभोक्ताओं को मनचाही वितरण कंपनी चुनने का विकल्प देने का खाका तैयार होगा। पिछले 15 साल में चार सुधार योजनाएं आने के बाद भी देश भर की सरकारी डिस्कॉम की वित्तीय और परिचालन हालत खस्ता है। पिछले वित्त वर्ष में संपन्न उदय योजना के तहत तय लक्ष्य भी ज्यादातर सरकारी डिस्कॉम पूरे नहीं कर सकीं और अब तक नुकसान में हैं। कम दक्षता वाले उपकरणों के कारण होने वाला कुल तकनीकी एवं वाणिज्यिक (एटीऐंडसी) घाटा पिछले वित्त वर्ष में 15 फीसदी पर सिमटने की अपेक्षा थी और डिस्कॉम की औसत लागत तथा राजस्व में अंतर शून्य पर लाना था। मगर एटीऐंडसी घाटा अभी 23.9 फीसदी है और लागत-राजस्व अंतर 0.53 पैसे है।

बिजली कंपनियों का 1.27 लाख करोड़ रुपये बकाया
विद्युत विधेयक, 2021 में ग्रिड का परिचालन करने वाले नैशनल लोड डिस्पैच सेंटर (एनएलडीसी) को यह अधिकार देने का प्रस्ताव है कि जो राज्य अनुबंधित आपूर्ति के एवज में भुगतान सुरक्षा नहीं देते हैं, उनकी बिजली रोक दी जाए। एनडीएलसी के परिचालन से संबंधित धारा 28 में जुड़ा नया प्रावधान कहता है, करार करने वाले पक्ष जिस भुगतान के लिए सहमत हुए हैं, उसके लिए समुचित सुरक्षा प्रदान किए बगैर बिजली आपूर्ति नहीं की जाएगी। बिजली अधिनियम में संशोधन तब हो रहा है, जब डिस्कॉम पर बिजली उत्पादन कंपनियों का बकाया बढ़ता जा रहा है। दिसंबर 2020 तक डिस्कॉम पर बिजली कंपनियों का 1.27 लाख करोड़ रुपये बकाया था।

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