पर्यावरण से जुड़े नियमों पर SC ने जताई हैरानी, सड़क परियोजनाओं पर की तीखी टिप्पणी

Edited By Ali jaffery,Updated: 04 Feb, 2021 02:02 PM

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उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि पेड़ काटने की जरूरत वाली सड़क चौड़ीकरण जैसी परियोजनाओं के लिए एक प्रोटोकॉल निर्धारित करने पर वह विचार करेगा, ताकि पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचे। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा...

नेशनल डेस्क; उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि पेड़ काटने की जरूरत वाली सड़क चौड़ीकरण जैसी परियोजनाओं के लिए एक प्रोटोकॉल निर्धारित करने पर वह विचार करेगा, ताकि पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचे। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि वह इसे भी तर्कसंगत नहीं मानता है कि यदि सड़क 100 किमी से कम लंबी है तो पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) की जरूरत नहीं है। 

क्या है मामला
शीर्ष न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर बारासात से पेट्रापोल तक राष्ट्रीय राजमार्ग-112 को चौड़ा करने और रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण के लिए 350 से अधिक पेड़ काटे जाने से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने यह भी कहा कि प्रोटोकॉल यह सुनश्चित करेगा कि परियोजना के लिए अपनाये जाने वाले विकल्प पर्यावरण के लिए कम नुकसानदेह हों। शीर्ष न्यायालय द्वारा गठित एक समिति ने कहा, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा जारी एक परिपत्र के मुताबिक 100 किमी से कम लंबी सड़क परियोजना के लिए किसी भी सरकारी एजेंसी से ईआई प्राप्त करने की जरूरत नहीं है।

अगली सुनवाई 18 फरवरी के लिए तय की गई
वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश होते हुए मंत्रालय की अधिसूचना का हवाला दिया और कहा कि ईआईए से बचने के लिए चार धाम परियोजना में सड़कों को छोटे-छोटे खंडों में विभाजित कर दिया गया था। शीर्ष न्यायालय ने कहा, प्रथम दृष्टया, हम इसे तर्कसंगत नहीं मानते हैं कि यदि सड़क 100 किमी से कम लंबी है तो ईआईए की जरूरत नहीं है। पूरा पर्यावरण हर किसी का है। इस सरकार और उस सरकार का कोई सवाल ही नहीं है।  पीठ ने विषय की अगली सुनवाई 18 फरवरी के लिए तय कर दी। 

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