Edited By ,Updated: 29 Jun, 2016 07:59 PM
भारतीय नेवी की ताकत अब और बढ़ गई है। नेवी को पहला हैवीवेट सबमरीन डेस्ट्रायर टॉरपीडो ‘वरुणास्त्र’ मिला है...
नई दिल्ली: भारतीय नेवी की ताकत अब और बढ़ गई है। नेवी को पहला हैवीवेट सबमरीन डेस्ट्रायर टॉरपीडो ‘वरुणास्त्र’ मिला है। ‘वरुणास्त्र’ 40 नॉटिकल माइल प्रति घंटे की स्पीड से दुश्मन के वारशिप और सबमरीन पर हमला करने में कैपेबल है। वरुणास्त्र को सबमरीन और वॉरशिप दोनों से दागा जा सकता है।
पूरी तरह मेड इन इंडिया है वरुणास्त्र
टॉरपीडो एक मिसाइल है जो सबमरीन से दागी जाती है। वरुणास्त्र पूरी तरह मेड इन इंडिया है, जिसे बुधवार को रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने नौसेना को सौंपा। इसे डीआरडीओ की नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी में इसे डेवलप किया गया है। इस मिसाइल को भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने तैयार किया है। इसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी से भी हेल्प ली गई है।
तेजस के बाद एक और अचीवमेंट
बीडीएल के मुताबिक, यह मेक इन इंडिया लाइटवेट फाइटर प्लेन तेजस बनाने के बाद स्वदेशी वेपन डेवलप करने की दिशा में देश का एक और बड़ा अचीवमेंट है। वरुणास्त्र के हाल ही में बंगाल की खाड़ी में किए गए ट्रायल पूरी तरह से सक्सेसफुल रहे।
ट्रायल के दौरान यह समंदर के भीतर सैकड़ों किलोमीटर दूर तक मार करने में सफल रहा। नौसेना में इसे आईएनएस दिल्ली, आईएनएस कोलकाता, आईएनएस कमोर्ता क्लास के वॉरशिप और सबमरीन से फायर किया जा सकता है।
एडवांस हैवीवेट टॉरपीडो है वरुणास्त्र
डीआरडीओ के मुताबिक, वरुणास्त्र एक हैवीवेट एडवांस टॉरपीडो है। इससे पहले डीआरडीओ ‘ताल’ नाम का टॉरपीडो डेवलप कर चुका है लेकिन वह लाइटवेट है। ताल से छोटे टारगेट को निशाना बनाया जा सकता है। इसके अलावा लाइटवेट टॉरपीडो को हेलिकॉप्टर से भी दागा जा सकता है।