निर्भया गैंगरेप: आज खत्म हो रही है कातिलों की मियाद, कुछ दिनों बाद जारी हो जाएगा डेथ वारंट

Edited By Seema Sharma,Updated: 04 Nov, 2019 10:41 AM

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निर्भया के साथ हुई दरिंदगी से भारत ही नहीं पूरी दुनिया कांप उठी थी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी लेकिन अब तक कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं हो सका है। दरअसल कुछ कानूनी प्रावधानों की पेचीदगी के कारण दोषियों की फांसी भी अटकी...

नई दिल्ली: निर्भया के साथ हुई दरिंदगी से भारत ही नहीं पूरी दुनिया कांप उठी थी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी लेकिन अब तक कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं हो सका है। दरअसल कुछ कानूनी प्रावधानों की पेचीदगी के कारण दोषियों की फांसी भी अटकी हुई है। सजा सुनाए जाने के करीब डेढ़ साल बाद दोषियों को नोटिस दिया गया है कि अगर वे सजा-ए-मौत में कोई रियायत चाहते हैं तो सात दिन के अंदर राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दाखिल करें। 7 दिन की यह मियाद सोमवार को पूरी हो रही है। माना जा रहा है कि आज ही निर्भया कांड के दोषी मर्सी पिटिशन दाखिल कर सकते हैं

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क्या कहा तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने
तिहाड़ जेल अधिकारियों ने निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के दोषियों से कहा कि उन्होंने सभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल कर लिया है और फांसी की सजा के खिलाफ उनके पास अब सिर्फ राष्ट्रपति के पास दया याचिका देने का विकल्प बचा हुआ है। मामले के चार दोषियों को 29 अक्तूबर को जारी एक नोटिस में जेल अधीक्षक ने उन्हें सूचना दी कि दया याचिका दायर करने के लिए उनके पास नोटिस पाने की तारीख से 7 दिनों तक का ही वक्त है। नोटिस में कहा गया कि यह सूचित किया जाता है कि यदि दोषियों ने अब तक दया याचिका दायर नहीं की और यदि अपने मामले में फांसी की सजा के खिलाफ राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करना चाहते हैं, तो यह नोटिस पाने के सात दिनों के अंदर ऐसा कर सकते हैं। इसमें नाकाम रहने पर यह माना जाएगा कि दोषी अपने मामले में दया याचिका नहीं दायर करना चाहते हैं और जेल प्रशासन कानून के मुताबिक आगे की आवश्यक कानूनी कार्यवाही शुरू करेगा।''

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गौरतलब है कि 16 दिसंबर की रात दिल्ली की एक चलती बस में छह लोगों ने 23 साल की निर्भया से गैंगरेप किया था और उसे सड़क पर फेंकने से पहले बुरी तरह से घायल कर दिया था। सिंगापुर के एक अस्पताल में 29 दिसंबर 2012 को निर्भया ने दम तोड़ दिया था। इस घटना के खिलाफ देशभर में रोष छा गया था। राम सिंह नाम के एक आरोपी ने जेल में फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली, जबकि एक किशोर को बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराया गया तथा उसे एक बाल सुधार गृह में अधिकतम तीन साल की कैद की सजा दी गई।

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सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 9 जुलाई को मामले के तीन दोषियों- मुकेश (31), पवन गुप्ता (24) और विनय शर्मा (25) की याचिकाएं खारिज कर दी थीं। उन्होंने 2017 के उस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था जिसके तहत दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले में निचली अदालत में उन्हें सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था। वहीं, मौत की सजा का सामना कर रहे चौथे दोषी अक्षय कुमार सिंह (33) ने शीर्ष न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की थी।

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